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रोड किनारे कचरे से उठता धुआं बन सकता है जानलेवा

सासाराम सिटी : नगर पर्षद के पास शहर के कूड़े- कचरे को डंप करने के लिए अपनी कोई जमीन नहीं होने के कारण जहां भी थोड़ी जगह मिल रही है, कचरा फेंक कर नगर पर्षद अपनी जान छुड़ा रहा है. कभी ग्रामीण, तो कभी शहरी क्षेत्र में रोड के किनारे कूड़े की डंपिंग हो रही […]

सासाराम सिटी : नगर पर्षद के पास शहर के कूड़े- कचरे को डंप करने के लिए अपनी कोई जमीन नहीं होने के कारण जहां भी थोड़ी जगह मिल रही है, कचरा फेंक कर नगर पर्षद अपनी जान छुड़ा रहा है.
कभी ग्रामीण, तो कभी शहरी क्षेत्र में रोड के किनारे कूड़े की डंपिंग हो रही है. इससे एक तरफ रोड पर आने-जाने वाले पहले तो कचरे की दुर्गंध से वैसे ही परेशान थे, अब उनकी परेशानी को बढ़ाने के लिए नगर पर्षद के सफाईकर्मी कचरे में आग लगा दे रहे हैं, ताकि कचरा कम मात्रा में दिखे व वे उस जगह पर दूसरा कचरा फेंक सकें. लेकिन इससे राहगीरों व वाहन चालकों की परेशानी बढ़ गयी है.
रोड पर फैला धुआं देता है दुर्घटना को दावत : पुरानी जीटी रोड पर किसी कोहरे की शक्ल में फैलता धुंआ किसी बड़ी दुर्घटना को दावत दे रहा है. वाहन चालकों को धुएं के कारण आगे की वस्तु देखने में कठिनाई आने के कारण रोज रोड पर फैलने वाला यह धुंआ दुर्घटना का कारण बन सकता है, पर नप को इसकी फिक्र क्यों होने लगी.
बनरसिया गांव के एक साईकिल सवार बिनोद महतो ने धुंए के कारण आई खांसी पर काबू पाते हुए बताया कि उन्हें धुंए से एलर्जी होती है, व दम फूलने लगता है. ऐसे में यदि कोई दुर्घटना हो जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. बाईक सवारों व चार पहिया वाहन में चलने वालों को भी रोड पर फैलने वाले इस धुंए से कठिनाईयां आ रही हैं.
एनजीटी ने खुले में कचरा जलाने पर लगायी है रोक : नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने खुले में कचरा जलाने पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है. कचरे के लिए डंपिंग ग्राउंड उपलब्ध न होने पर बहाना बनाकर प्रशासन भी इससे नहीं बच सकता. क्योंकि कूड़े के लिए खास डंपिंग ग्राउंड की व्यवस्था नहीं हो सकने के लिए भी प्रशासन ही दोषी है व इससे लिए इन महकमों पर भी जुर्माना बनता है.
कचरे के जलने से निकलती है जहरीली गैस
ऐसे कूड़े-कचरे को यहां जलाना लोगों को अवश्य ही नुकसान पहुंचायेगा. कारण है, कि कूड़े-कचरे में पॉलीथिन की अत्यधिक मात्रा मौजूद रहती है. प्लास्टिक की बोतलें व अन्य तमाम प्रकार की ऐसी चीजें हैं, जिनको जलाने पर जहरीली गैस निकलती है.
इस संबंध में सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. विनय तिवारी ने बताया कि प्लास्टिक को बिना जलाए ही जब इससे बेंजीन, क्लोराइड, विनायल, व इथनॉल ऑक्साइड जैसी वायु को प्रदूषित करने वाली गैसें निकलती हैं, तो फिर इसको जलाने पर क्या होगा. इससे निकलने वाली जहरीली गैसें दमा, फेंफड़ों के कैंसर, आदि अनेक बीमारियों को जन्म दे सकती हैं.
प्लास्टिक के अनेकों रूप होते हैं, जिन्हें जलाने पर स्टाइरिन व कार्बन डाइऑक्साइड के साथ-साथ क्लोरोफ्लोरो कार्बन, क्लोरीन, नाइट्रिक ऑक्साइड आदि खतरनाक गैसें निकलती हैं, जो हवा में मिल कर हमारे पर्यावरण को दूषित करती हैं. इस तरह से कचरे को जलाना एक तरफ नगरवासियों के लिए सीधे ही हर तरह से नुकसानदेह है, तो दूसरी तरफ इससे पर्यावरण को भी अधिक नुकसान पहुंच रहा है.

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