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गंदगी से बिगाड़ी शहर की सूरत

नहीं दिख रही सुलह समझौतों की कहीं कोई उम्मीद सासाराम कार्यालय : नगर पर्षद के स्थायी लिपिकीय संवर्ग व स्थायी व अस्थायी सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के 11वां दिन बीत गया. गत 26 दिसंबर से छठे वेतनमान सहित अन्य मांगों को लेकर कर्मचारी हड़ताल पर हैं. यह हड़ताल पहली बार नहीं हुआ है. पिछले पांच […]

नहीं दिख रही सुलह समझौतों की कहीं कोई उम्मीद

सासाराम कार्यालय : नगर पर्षद के स्थायी लिपिकीय संवर्ग व स्थायी व अस्थायी सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के 11वां दिन बीत गया. गत 26 दिसंबर से छठे वेतनमान सहित अन्य मांगों को लेकर कर्मचारी हड़ताल पर हैं. यह हड़ताल पहली बार नहीं हुआ है.
पिछले पांच माह में यह चौथी बार है. लेकिन, इस बार कर्मचारी छठे वेतनमान को लेकर अड़ गये हैं. अन्य मांगों में कोई दम भी नहीं है. छठे वेतनमान ऐसा की नगर पर्षद बोर्ड के चाहने भर से मिलने वाला नहीं. यह सरकार स्तर पर निर्भर है. अब जब सरकार के पास मामला है, तो हड़ताल का वहां कोई असर नहीं पड़ने वाला. हां, इसके विपरित शहर के लोगों पर इसका जबरदस्त असर होने लगा है. हर तरफ कूड़ा-कचरा नजर आने लगा है, तो कूड़ों से भरी नालियां उफन कर सड़क पर बहने लगी हैं.
शहरवासियों का दर्द
नगर पर्षद का प्रशासन बहुत ढिला है. समय रहते कर्मचारियों को छठा वेतनमान नहीं दिया और जब समस्या सिर पर चढ़ गयी है, तो पल्ला झाड़ सरकार के पाले में डाल रही है. समस्या को हर हाल में उन्हें ही सुलझाना होगा.
संजय कुमार, गौरक्षणी
हड़ताल के लिए शहरवासी जिम्मेदार नहीं हैं. हम तो नगर पर्षद का टैक्स दे ही रहे हैं. थोड़ी देर होने पर टैक्स पर ब्याज भी ले लेती है. ऐसे में नगर पर्षद की जिम्मेदारी बनती है कि वह हमें सुविधा दे. यह कैसे होगा? यह नप का सिर दर्द है.
अरविंद कुमार, तकिया
गलियों में चलना मुश्किल हो गया है. कूड़े का ढेर जमा है. सफाई क्या बाहर के लोग आकर करेंगे. हड़ताल समाप्ति के लिए पहल करे. नहीं, तो तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था करे. शहर में बीमारी फैली, तो इसकी जिम्मेदारी नप की होगी.
चंद्रशेखर आजाद, माइको
नगर पर्षद में हड़ताल है. शहर के लोगों के साथ विधायक भी देख रहे हैं. लेकिन, विधायक इस समस्या के समाधान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. उन्हें आगे आना चाहिए. शहर के लोगों को सुविधा देने के लिए वे भी उतने ही जिम्मेदार हैं, जीतना नप.
मोहम्मद सुहैल, सागर

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