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समाज व घर में बढ़ेगी महिलाओं की इज्जत देश में चर्चित मुद्दा तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सबकी निगाहें टिकी थीं. दोपहर में तीन तलाक को बंद करने के सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो इस पर मुसलिम वर्ग के लोगों ने विभिन्न तरह की प्रतिक्रियाएं दी. अधिकतर पुरुषों ने कहा कि […]

समाज व घर में बढ़ेगी महिलाओं की इज्जत
देश में चर्चित मुद्दा तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सबकी निगाहें टिकी थीं. दोपहर में तीन तलाक को बंद करने के सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तो इस पर मुसलिम वर्ग के लोगों ने विभिन्न तरह की प्रतिक्रियाएं दी. अधिकतर पुरुषों ने कहा कि इससे कोई खास लाभ नहीं होने वाला है. तो महिलाओं ने कहा कि समाज व घर में महिलाओं को इस कानून से इज्जत बढ़ेगी. उनमें आत्मविश्वास आयेगा. मंगलवार को कोर्ट का फैसला आने पर प्रभात खबर ने शहर के नामचीन लोगों से इस मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया ली.
पाक कुरान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का फैसला
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पाक कुरान की तारीख के अनुसार है. कुरान में तलाक देने के नियम बनाये गये हैं. उसमें कही भी एक साथ तीन तलाक देने को नहीं कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने वहीं बात कही है, जो कुरान में लिखा है.
एक साथ तीन तलाक देना कही से जायज नहीं है. छोटी-छोटी बातों पर तलाक देने के मामले पर रोक लगेगी. इससे ज्यादातर महिलाएं ही प्रभावित होती हैं. महिलाओं के दिल से डर दूर होगा. वह खुल कर अपने घर-परिवार में रह सकेंगी. मैं वैसी महिलाओं के साथ हूं, जिनके शौहर छोटी-छोटी बात पर तलाक दे दिये हो.
शाहीना कमर, अधिवक्ता, सिविल कोर्ट, सासाराम
जिंदगी दोजख बनाने वाली प्रवृत्ति रुकेगी
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है. इससे हमारे समाज में महिलाओं सम्मान बढ़ेगा. वह खुल कर अपना जीवन जीयेंगी. छोटी-छोटी बातों पर तलाक देना जायज नहीं है.
नशे की हालत में तलाक देने या किसी छोटे मसले पर एक साथ तीन तलाक बोल कर महिलाओं की जिंदगी दोजख बनाने वाली प्रवृत्ति पर रोक लगेगी. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कुरान-ए-पाक के नियम के अनुसार है. मैं इस फैसला का स्वागत करती हूं. इससे मुसलिम महिलाओं को काफी बल मिलेगा. उनकी सोच बदलेगी. समाज सशक्त होगा. महिलाएं सशक्त होंगी.
नाजिया बेगम, पूर्व मुख्य पार्षद सह वार्ड 29 की पार्षद, सासाराम
कोर्ट के इस फैसला का होगा दूरगामी परिणाम
देश के सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला मुसलिम समाज के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. खास कर उन महिलाओं के लिए जो कम शिक्षित हैं. उनके ऊपर तीन तलाक का फरमान पहाड़ की तरह सिर पर गिरता है.
उनकी पूरी जिंदगी परेशान हो जाती है. पूरा परिवार बिखर जाता है. कुरान-ए-पाक में भी एक साथ तीन तलाक को जायज नहीं ठहराया गया है. उसमें भी एक-एक माह के अंतराल पर तलाक की बात है. इस बीच समझौते की गुंजाइश बनी रहती है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का दूरगामी परिणाम होगा. मुसलिम समाज सशक्त होगा.
गुलशन अफरोज, पूर्व मुख्य पार्षद सह वार्ड 30 की पार्षद, सासाराम
इस फैसले से कोई खास असर पड़नेवाला नहीं
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मैंने नहीं पढ़ा है. कुरान-ए-पाक के अनुसार अगर कोर्ट ने फैसला दिया है, तो वह मेरे लिए मान्य होगा. अगर कुरान के विरुद्ध फैसला होगा तो वह मेरे लिए मान्य नहीं होगा. हमारे यहां कुरान में पहले से ही एक साथ तीन तलाक देने के मामले को सबसे गिरा हुआ काम बताया गया है. इस फैसले से कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है.
यह कोर्ट का मामला नहीं था. यह तो समाज का मामला था. आज भी पढ़े लिखे लोग तीन तलाक जैसी ऐसी हरकत नहीं करते. इसके लिए समाज में जागरूकता की जरूरत है. पति-पत्नी का मामला निजी मामला है.
सगीर अहमद, अधिवक्ता सिविल कोर्ट

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