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सड़क जाम, धरना-प्रदर्शन से शहर बेहाल
जनता की परेशानियों से कन्नी काटते रहे अधिकारी सासाराम ऑफिस : बुधवार को दिन भर सड़क जाम व धरना-प्रदर्शन के नाम रहा. वैसे तो सिर्फ सड़क जाम ही बहुत है शहर की यातायात व्यवस्था को बेहाल करने के लिए, उस पर अगर आधा दर्जन धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम हो तो पूछिए मत. प्रशासन को समझ नहीं […]
जनता की परेशानियों से कन्नी काटते रहे अधिकारी
सासाराम ऑफिस : बुधवार को दिन भर सड़क जाम व धरना-प्रदर्शन के नाम रहा. वैसे तो सिर्फ सड़क जाम ही बहुत है शहर की यातायात व्यवस्था को बेहाल करने के लिए, उस पर अगर आधा दर्जन धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम हो तो पूछिए मत. प्रशासन को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें और क्या न करें. वैसे सच मानिए तो इसका एक बड़ा कारण खुद प्रशासन ही है. करगहर मोड़ से लेकर बौलीया चौक व पोस्ट ऑफिस चौक से लेकर गौरक्षणी दुर्गा मंदिर तक लगे जाम में हजारों गाड़ियां फंसी रही.
जाम के कारण एंबुलेंस को भी घंटों इंतजार करना पड़ा. इस पर कोढ़ में खाज यह कि पोस्टऑफिस चौक से लेकर ओझा टाउन हॉल तक के बीच जिसकी दूरी मात्र 50 से 100 मीटर है. लोगों की माने तो जिला प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय हो गया है. जब प्रशासन को पता है कि छोटे-छोटे प्रदर्शन से भी शहर की यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है तो एक ही दिन आधा दर्जन धरना-प्रदर्शनों को इजाजत देने की क्या आवश्यकता थी. शहर में जब जब जाम लगता है प्रशासन रटा रटाया जवाब दे देता है कि जाम लगने का मुख्य कारण शहर के बीचो-बीच स्थित बस पड़ाव है. जबिक, ऐसा नहीं है.
लोगों की मानें तो वतर्मान परिवेश में भी प्रशासन ईमानदार व प्रशिक्षित यातायात पुलिसकर्मियों की तैनाती कर शहरवासियों को इस समस्या से निजात दिला सकता है. जिला प्रशासन जाम के प्रति लापरवाह और भ्रष्ट यातायात कर्मियों के विरुद्ध नरम रुख अपनाये हुए है. प्रशासन चाह ले तो शहर से जाम की समस्या हमेशा के लिए दूर हो सकती है. बस जरूरत है सही नियत और योजना की.
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