सजा पर सुनवाई पांच जुलाई को
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डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड में पांच नक्सली दोषी करार
सजा पर सुनवाई पांच जुलाई को सासाराम कोर्ट : ला एवं सत्र न्यायाधीश प्रभुनाथ सिंह की अदालत ने बुधवार को 15 साल बाद रोहतास के बहुचर्चित डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड में पांच नक्सलियों को दोषी करार दिया है. अदालत ने कांड संख्या आरसी 4 एस-2002 के अभियुक्तों में निराला यादव, नीतीश यादव, रामबचन यादव व […]
सासाराम कोर्ट : ला एवं सत्र न्यायाधीश प्रभुनाथ सिंह की अदालत ने बुधवार को 15 साल बाद रोहतास के बहुचर्चित डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड में पांच नक्सलियों को दोषी करार दिया है. अदालत ने कांड संख्या आरसी 4 एस-2002 के अभियुक्तों में निराला यादव, नीतीश यादव, रामबचन यादव व लालन सिंह खरवार को पोटा अधिनियम की धारा 20, शस्त्र अधिनियम की धारा 27 और भादवि की धाराओं 302, 323,148, 149 के तहत दोषी करार दिया,
जबकि सुदामा उरांव को सिर्फ पोटा अधिनियम की धारा 20 के तहत दोषी माना है. सभी अभियुक्तों को सजा के बिंदु पर आगामी पांच जुलाई को सुनवाई होगी. यह फैसले की दूसरी किस्त है. इससे पहले वर्ष 2004 में अदालत ने इस हत्याकांड में संलिप्त दो नक्सलियों
डीएफओ संजय सिंह हत्याकांड…
रूपदेव यादव व विनोद खरवार को उम्रकैद की सजा सुनायी थी. क्राइम फाइल के मुताबिक, कैमूर पहाड़ी के नौहट्टा थाना क्षेत्र स्थित रेहल गांव में 15 फरवरी, 2002 को वन संपदाओं की रक्षा करने के दौरान तेजतर्रार अधिकारी संजय सिंह को नक्सलियों ने पकड़ लिया और गोली मार कर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी. स्थानीय स्तर पर जांच होने के दौरान तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार ने भारी दबाव व जनभावनाओं के मद्देनजर इस बहुचर्चित हत्याकांड की जांच सीबीआइ के हवाले कर दी थी. घटना के दो साल बाद सात अप्रैल, 2004 को अदालत ने इस हत्याकांड में संलिप्त दो नक्सलियों रूपदेव यादव व विनोद खरवार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. बुधवार को फैसले की दूसरी किस्त आयी है. कांड का अनुसंधान अब भी जारी है. नाबालिग आरोपित के पृथक वाद का विचारण किशोर न्याय परिषद में अभी लंबित है. वहीं, कांड की महिला अभियुक्त विनीता अब भी फरार बतायी जाती है. अभियोजन की ओर से सीबीआइ के विशेष अभियोजक दीप नारायण सिंह व बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता बालमुकुंद सिंह ने दलीलें पेश कीं. गौरतलब है कि इस हत्याकांड में दो दर्जन से ज्यादा आरोपित बनाये गये थे. पुलिस अब तक करीब नौ गवाहों की गवाही करा पायी है.
रोहतास के बहुचर्चित मामले में
15 साल बाद आयी फैसले की दूसरी किस्त
2004 में कोर्ट ने दो नक्सलियों को सुनायी थी आजीवन कारावास की सजा
15 फरवरी, 2002 को नक्सलियों ने गाेली मार कर हत्या कर दी थी
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