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नाट्य कार्यशाला में अभिनय के गुर व बारीकियां सीख रहे स्कूली बच्चे

नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

बीस दिवसीय प्रस्तुतिपरक नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

पूर्णिया. भरत नाट्य कला केन्द्र (भनक) और रंगमिथ पूर्णिया के तत्वावधान में आयोजित बीस दिवसीय प्रस्तुतिपरक नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला में गत तीन दिनों में बच्चों ने एक तरफ जहां अभिनय के गुर सीखे वहीं दूसरी ओर रंगमंच व अभिनय की बारीकियों को करीब से समझा. बच्चों ने पूर्णिया और मधेपुरा से आए नाट्य विधा के प्रमुख कलाकारों से विभिन्न पहलुओं को जानने का प्रयास किया जिसमें नाट्य कला के गूढ़ रहस्य भी सीखे. मुंबई में अपनी पहचान बनाने वाले कलाकार राज सोनी ने बच्चों को अपनी कला यात्रा से रु-ब-रु कराते हुए बाल कलाकारों से इम्प्रोवाइजेशन पर कार्य करवाया. याद रहे कि मिथिलेश राय और उमेश आदित्य के निर्देशन में काम करते हुए राज सोनी ने एक स्टैंडअप कॉमेडियन के रूप में पहचान बनायी है. कार्यशाला में ए बी डांस ग्रुप, पूर्णिया के नृत्य विशेषज्ञ अभिमन्यु ने बच्चों को नाटक में नृत्य और संगीत का महत्व बताया और नृत्य के विभिन्न अभ्यास करवाए. उन्होंने कहा कि नृत्य में पद संचालन का विशेष महत्व है. संगीत की लय और ताल के अनुरूप पद संचालन और शरीर की भाव भंगिमा होनी चाहिए. बच्चों ने उनकी कक्षा का पूरा आनन्द उठाया. मधेपुरा से आए नाट्य विशेषज्ञ अमित कुमार अंशु ने बच्चों को नाटक के कई गेम कराए और कहा कि इन नाट्य खेलों का उद्देश्य बच्चों में अनुशासन और नाटक के प्रति अभिरुचि को बढ़ावा देना है. उन्होंने कार्यशाला में शामिल बच्चों प्रतिभा और उत्सुकता को सराहा और प्रशिक्षुओं की संख्या बढ़ाए जाने की जरुरत बतायी.

कार्यशाला से बच्चों में आ रहा है आत्मविश्वास

इस प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल खुशी कुमारी ने कहा कि वह पहली बार रंगमंच के प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल हुई है. इस कार्यशाला से मेरे अंदर एक आत्मविश्वास जागृत हुआ है. अंदर की हेजिटेशन खत्म हो गई है. मै आगे भी रंगमंच से जुड़ी रहूंगी. मोनिका कुमारी,वसु कुमारी और बिंदिया कुमारी ने भी अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि पहले हमें कला और संस्कृति, विशेष रूप से रंगमंच का तो बिल्कुल ही ज्ञान नहीं था. इस कार्यशाला में आने के बाद जाना कि इस विधा की भी पढ़ाई होती है.यहां पहुंची मोनिका कुमारी एक बेहतरीन अदाकारा के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहती है,तो बिंदिया कुमारी रंगमंच के सभी विधाओं को सीखना चाहती हैं. कार्यशाला प्रभारी रजनीश आर्या के अनुसार यह कार्यशाला उन्हें एक नया अनुभव दे रही है.

संचालन में है इनका योगदान

कार्यशाला में मुख्य प्रशिक्षक सह आयोजक मिथिलेश राय और उमेश आदित्य के साथ -साथ शशिकांत प्रसाद, रामभजन,दीपक कुमार संचालन में अपना योगदान दे रहे हैं. कार्यशाला में तीन एकल नाटक और एक और नाटक ओका,बोका, तीन चरौका के भी मंचन पर कार्य चल रहा है.इन सभी का मंचन कार्यशाला की समाप्ति पर किया जाएगा.

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