पूर्णिया. आज पूरा राष्ट्र आजादी का जश्न मना रहा है वहीं इस मौके पर ममता झा अपने स्वर्गीय दादाजी स्वतंत्रता सेनानी इन्द्र नारायण झा को याद कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. उनसे जुडी यादों को साझा करते हुए वे कहती हैं कि देश की आजादी को हासिल करने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग को कभी भुलाया नहीं जा सकता जिनके बलिदानों और कुर्बानियों के बाद भारत ने ब्रिटिश शासन से मुक्ति पायी. श्रीमती झा कहती हैं कि बनमनखी प्रखंड के शिलानाथ रुपौली गांव में उनका मायका है. देश को आजादी दिलाने मे उनके दादाजी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय इन्द्र नारायण झा की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण रही. ब्रिटिश शासन मे वे जेल भी गए और काफी यातनाएं भी झेलीं. 94 वर्ष की उम्र मे 14 दिसम्बर 2014 को उनका स्वर्गवास हुआ. उनकी बातें करते हुए ममता झा और उनके पति अजय कांत झा ने नम आंखों से बताया कि दादाजी को याद कर हमसभी का मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है. ममता झा ने बताया कि उनके दादाजी संगीत और योग प्रिय इंसान थे और समाज को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया करते थे. उनकी आवाज मधुर और स्पष्ट थी. वे भगवान भक्त भी थे. सार्वजनिक दुर्गा पूजा आयोजन की चर्चा करते हुए वे कहती हैं कि शिलानाथ रुपौली मे सार्वजनिक दुर्गा पूजा का आयोजन उन्हीं की देखरेख में संपन्न हुआ करता था और प्रशासन मेला का लाइसेन्स भी इन्द्र नारायण झा के नाम से ही निर्गत किया करती थी जो अब वर्त्तमान मे उनके पुत्र संगीता नंद झा के नाम से निर्गत किया जाता है.
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