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कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु के नाम पर हो पूर्णिया एयरपोर्ट का नामकरण

अपने शहर से हवाई उड़ान की तैयारियों को अब लगभग फाइनल टच दिया जा रहा है.

मुखर स्वर में पूर्णिया के प्रबुद्ध नागरिक अब उठाने लगे हैं रेणु नाम की मांग

विश्व के पटल पर पूर्णिया की पहचान बनाने वाली शख्सियत के नाम की है चाहत

पूर्णिया. अपने शहर से हवाई उड़ान की तैयारियों को अब लगभग फाइनल टच दिया जा रहा है. समझा जाता है कि अगले महीने यानी सितंबर के अंतिम सप्ताह से पूर्णिया के लोग हवाई सेवा का आनंद भी उठाने लगेंगे. सरकार की ओर से विभागीय प्रक्रिया काफी तेज है पर इस बीच एयरपोर्ट के नामकरण को लेकर मांग मुखर होने लगी है. पूर्णिया का प्रबुद्ध चाहता है कि पूर्णिया एयरपोर्ट कथाशिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु के नाम से जाना जाए. इस वर्ग का तर्क है कि रेणु जी ने अपनी कालजयी कृतियों के जरिये विश्व में पूर्णिया की पहचान बनायी थी. इस लिहाज से इसी नाम से एयरपोर्ट का नामकरण किया जाना चाहिए.

दरअसल, पूर्णिया के लोग एयरपोर्ट निर्माण के अंतिम स्वरूप को देखकर पूरी तरह आशान्वित हैं कि चंद दिनों में पूर्णिया से हवाई उड़ान भरने का सपना साकार होने वाला है. यही वजह है कि लोग पूर्णिया एयरपोर्ट के आगे ऐसी शख्सियत का नाम चाहते हैं जिनकी पहचान विश्व के पटल पर हो और फणीश्वर नाथ रेणु का का नाम इस कसौटी पर खरा उतर रहा है. इस मांग को मुखर रूप से उठाने वाले प्रबुद्ध लोगों का मानना है कि इस एयरपोर्ट के इस नामकरण से न केवल गर्व और गौरव का अहसास होगा बल्कि अपनी साहित्यिक कृतियों से पूर्णिया को विश्व के मानस पटल पर ले जाने वाले रेणु जी का भी सम्मान होगा. अब आलम यह है कि इस नामकरण को लेकर हर कोई अपने-अपने अंदाज में रेणु नाम की वकालत कर रहा है.

एयरपोर्ट का नाम आखिर रेणु के नाम क्यों ?

पूर्णिया की धरती केवल भौगोलिक पहचान नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और जनचेतना का जीवंत प्रतीक रही है. इसी माटी ने हिंदी साहित्य को वह अमूल्य रत्न दिया, जिसने गांव-गांव की धड़कन, खेतों की महक और समाज के संघर्ष को विश्व तक पहुंचाया अमर कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु. उनकी रचनाएं, विशेषकर ‘मैला आंचल’, ने पूर्णिया और कोसी अंचल को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई. उन्होंने अपने शब्दों से इस क्षेत्र के किसानों, मजदूरों, स्त्रियों और वंचित तबकों की आवाज को इतिहास में स्थायी स्थान दिया. आज भले ही हम बातों और दावों की लंबी उड़ान भर लें पर सच यही है कि रेणु जी ने दो बैलों वाली टप्पड़ गाड़ी के युग में अंतररार्ष्ट्रीय फलक पर पूर्णिया का कीर्तिमान कायम किया था.

एयरपोर्ट को रेणु का नाम दे बढ़ाएं पूर्णिया का मान : डॉ एके गुप्ता

पूर्णिया. ग्रीन पूर्णिया के संस्थापक अध्यक्ष एवं पूर्णिया के जाने-माने सर्जन डॉ अनिल कुमार गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूर्णिया एयरपोर्ट का नाम फणीश्वर नाथ रेणु के नाम से करने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने ई-मेल पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पूर्णिया एयरपोर्ट का नामकरण फणीश्वर नाथ रेणु के नाम पर होना इस क्षेत्र की अस्मिता, गौरव और साहित्यिक विरासत को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का प्रतीक होगा. यह भारत के साहित्यिक गौरव को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के माध्यम से दूर-दूर तक ले जाएगा और आने वाली पीढ़ियों को समाज सेवा, संवेदना और रचनात्मकता की प्रेरणा देगा. हमारा मानना है कि इस निर्णय में किसी भी प्रकार की राजनीतिक या क्षेत्रीय खींचतान से ऊपर उठकर उस विभूति को सम्मान देना चाहिए, जिसने इस मिट्टी को अपनी कलम से अमर कर दिया. डॉ गुप्ता ने अपनी पूरी टीम के साथ निर्माणाधीन एयरपोर्ट के समीप पहुंचकर बैनर के साथ इस मांग के पक्ष में आवाज बुलंद की. इसके लिए उन्होंने संबंधित मंत्रालय, मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेताओं का भी ध्यान आकृष्ठ कराया है.

आम नागरिक के नाते मैं नागरिकों की मांग के साथ : पप्पू

पूर्णिया. कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु के छोटे बेटे व कथाकार दक्षिणेश्वर राय पप्पू ने एक तरफ जहां पूर्णियावासियों की भावनाओं का स्वागत किया है. वहीं एयरपोर्ट का नाम रेणु जी के नाम से किए जाने की वकालत भी की है. उन्होंने कहा है कि वे रेणु का पुत्र बाद में पर पहले आम नागरिक होने के नाते इस मांग के साथ हैं. श्री पप्पू ने सोशल मीडिया पर ग्रीन पूर्णिया की मांग का फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि इस तस्वीर में कोई भी रेणु के रिश्तेदार नहीं है. ये लोग रेणु के दीवाने हैं. उनके लेखनी को पसंद करने वाले, उनको चाहने वाले हैं जो अपने अप्रतिम कथाकार के नाम से यहां शुरू होने वाले एयरपोर्ट का रेणु के नाम से करने की मांग सरकार से कर रहे हैं. फणीश्वरनाथ रेणु ने अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से निश्चित रूप से हमारे पूर्णिया का नाम वैश्विक स्तर पर लाने का काम किया. उन्होंने कहा है कि पूर्णिया के नागरिकों की इस महत्वाकांक्षी मांग का वे सपोर्ट करते हैं क्योंकि यह सम्मान सिर्फ रेणु का नहीं, बल्कि कोसी जनपद के समस्त नागरिकों का होगा.

आंकड़ों पर एक नजर

2015 में प्रधानमंत्री ने की थी पूर्णिया एयरपोर्ट चालू करने की घोषणा

2025 के सितंबर माह में पूर्णिया से हवाई सेवा शुरू होने की आस

67.18 एकड़ भूमि एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहीत है

2.18 एकड़ भूमि पर चल रहा है एप्रोच पथ का निर्माण

1706 मीटर में हो रहा चहारदीवारी का निर्माण कार्य

700 मीटर से अधिक चहारदीवारी का कार्य पूर्ण

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