पूर्णिया. जिले के कटिहार मोड़ के निकट स्थित कप्तान पारा में आयोजित दुर्गा पूजा का बेहद अद्भुत पंडाल तैयार किया गया है. पूरे पंडाल में बांस की चटाई, मिट्टी की अनगिनत मूर्तियां बांस से निर्मित टोकरी, सूप, पुतले और रंग बिरंगी रोशनियों से बेहद आकर्षक साज-सज्जा की गयी है. सप्तमी को पट खुलते ही यहां लोगों की भीड़ उमड़ पडी है. कप्तान पारा के इस दुर्गापूजा आयोजन में असम से बांस, ओडिशा से मिट्टी के पुतले और बंगाल के कलाकारों ने मिलकर तीनों राज्यों की मिश्रित संस्कृति को बिहार के पूर्णिया में स्थापित कर सांझी विरासत का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है.
पंडाल निर्माण में लगे दो माह
पूजा कमेटी के सचिव अमित चक्रवर्ती उर्फ राणा ने बताया कि असम से बांस के मेटेरियल को मंगवाया गया और ओडिशा से वहां की पारंपरिक मूर्तिकला की विभिन्न छोटी-छोटी मूर्तियां, जिनमें विशुद्ध ग्रामीण परिवेश की झलक मिलती है उसे लाया गया. इसके अलावा प्रतिमा निर्माण के लिए बंगाल से मूर्तिकार को बुलाया गया, जिन्होंने रक्षाबंधन से प्रतिमा के निर्माण का काम शुरू किया और दो माह में भव्य प्रतिमा तैयार की. वहीं पंडाल को तैयार करने में दो माह से ज्यादा का वक्त लगा.पंडाल बनाने में लगे 24 लाख रुपये
श्री चक्रवर्ती ने बताया कि पूरे पंडाल को तैयार करने में लगभग 24 लाख रुपये खर्च हुए हैं. वहीं प्रतिमा तैयार करने में मिट्टी और रंगों का इस तरह प्रयोग किया गया है कि संपूर्ण प्रतिमा सोने से बनी मालूम पड़ती है, जबकि रंग-बिरंगी जगमगाती रोशनी में संपूर्ण पंडाल भारत के कई राज्यों की मिलीजुली पारंपरिक संस्कृति की झलक प्रस्तुत करती है. सचिव ने यह भी जानकारी दी कि आरती और महाप्रसाद यहां के मुख्य आकर्षण हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

