बिहार के आर्ट क्राफ्ट को प्रमोट कर महिलाओं को सिखा रहा हुनर
कारीगरी, हैंडमेड गहने, सिलाई, कढ़ाई को दिया जा रहा बढ़ावा
50 से ज्यादा महिलाएं अब तक बन चुकी हैं यहां आत्मनिर्भर
02 सालों की कम अवधि में हासिल की कई बड़ी उपलब्धियां
पूर्णिया. नारी सशक्तिकरण के तहत हाउस ऑफ मैथिली महिलाओं को लोकल से ग्लोबल तक का सफर करा रहा है. पिछले दो सालों में 50 से ज्यादा महिलाएं आत्म निर्भर बनी हैं. पूर्णिया की होम ग्रोन और बिहार की पहली फैशन स्टार्ट अप हाउस ऑफ मैथिली सही मायने में लोकल टू ग्लोबल को सार्थक बनाती नज़र आ रही है. गौरतलब है कि देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई संगठन और स्टार्टअप काम कर रहे हैं, इस मुहिम में ‘हाउस ऑफ मैथिली’ ने महज दो सालों में बड़ी उपलब्धि हासिल कर अपनी पहचान कायम की है.
हाउस ऑफ मैथिली की शुरुआत पूर्णिया में एक छोटे से आइडिया से हुई थी. इसमें बिहार के आर्ट क्राफ्ट को प्रमोट करने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्य था. हाउस ऑफ़ मैथिली के संस्थापक, मनीष रंजन ने बताया कि हमारा उद्देश्य न केवल बिहारी आर्ट और संस्कृति को बढ़ावा देना था, बल्कि उस क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त करना भी था जो पारंपरिक कामकाजी तरीके से बाहर कुछ नया करना चाहती थीं. इसकी सफलता न केवल एक स्टार्टअप की कहानी है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैविविध क्षेत्रों में काम करने का अवसर
हाउस ऑफ मैथिली ने अपने काम के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को अवसर दिया हैं. इनमें कारीगरी, हैंडमेड गहने, सिलाई, कढ़ाई, ऐप्लिक, हैंड पेंटिंग जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं. मनीष कहते हैं, अब हाउस ऑफ़ मैथिली के प्रोडक्ट्स भारत के सबसे बड़े इकॉमर्स प्लेटफार्म ‘मैन्त्रा’पर भी उपलब्ध हैं जहां इन महिलाओं द्वारा बनाए गये एक से बढ़ कर एक प्रोडक्ट्स अब लोग दुनिया के किसी भी हिस्से से ऑर्डर कर सकते हैं. मनीष कहते हैं कि हमने अपनी पहली महिला कारीगर से लेकर आज तक कई महिलाओं को इस सफर में जोड़ा है. इनमें से कई महिलायें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी हैं.विदेशों में बेच रहा उत्पाद और अपनी सेवाएं
हाउस ऑफ मैथिली अब यह स्टार्टअप अमेरिका, यूरोप और एशिया के विभिन्न देशों में अपने उत्पाद और सेवाओं को बेच रहा है. इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिये वैश्विक ग्राहकों तक इसकी पहुंच बन गयी है. अब ‘हाउस ऑफ मैथिली’ का लक्ष्य अपनी पहुंच को और बढ़ाना है. वे और अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित करना चाहते हैं और उन्हें ग्लोबल मार्केट में जगह दिलाने के लिए नए-नए मौके प्रदान करना चाहते हैं. साथ ही, वे स्थानीय कला और संस्कृति को प्रमोट करने के लिए और अधिक परियोजनाओं पर काम करने का इरादा रखते हैं. ”मनीष बताते है कि यह साबित हो गया है कि महिलाएं अगर अवसर प्राप्त करें, तो वे किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं. मनीष ने बताया, महिलाओं को केवल अवसर देने की जरूरत है. वे किसी भी मुश्किल को आसान बना सकती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है