आशीष कुमार सिंह, धमदाहा. 25 अगस्त 1942 के शहीदों की याद में बना धमदाहा का शहीद स्मारक पूरे कोसी-सीमांचल को गौरवान्वित करता है. पूरी दुनिया को यह जाहिर करता है कि स्वतंत्रता का जो अलख यहां के शहीदों ने देशवासियों के सीने में जलाया , वह आज भी जेहन में बसा है. धमदाहा में भी 1942 में चारों तरफ अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे की गूंज थी . लोग तिरंगा फहराने और थाने को जलाने के लिए आगे बढ़ रहे थे . तभी अचानक ब्रितानी पुलिस ने क्रांतिकारियों को रोकने के लिए फायरिंग का सहारा लिया . अंग्रेजों की फायरिंग में 14 सपूत शहीद हुए. इन शहीदों के याद करते हुए सन 1947 में स्थानीय लोगों के सहयोग से धमदाहा शहीद स्मारक का निर्माण हुआ था.आजादी की 25 वीं वर्षगांठ पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीदों के परिजनों को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया. मंत्री लेशी सिंह की पहल पर मिला राजकीय दर्जा मंत्री लेशी सिंह की पहल पर वर्ष 2023 में इस शहीद स्मारक को राज्य सरकार ने शहीद स्मारक का दर्जा दिया है. इसके बाद से शहीदों की याद में यहां हरेक साल सरकारी कार्यक्रम होते आ रहे हैं. इससे सम्मान में इजाफा हुआ है. शहीदों के परिजनों को नौकरी की आस सीताराम मारकंडेय ताम्रपत्र की बात पर कहते हैं सरकार हमरा सब के बच्चा लै कोने उपाय करतियै. बालो मारकंडेय के पुत्र सीताराम मंडल बूढ़े हो चले हैं. घर में दो जवान बेटे भी हैं. सरकार के द्वारा पेंशन मिलती है . धमदाहा नगर पंचायत के हरिणकोल निवासी शहीद लक्खी भगत के नाती विनोद कहते हैं कि मेरी पत्नी मैट्रिक पास है. उसको नौकरी मिल जाती तो अच्छा होता. धमदाहा थाना गोलीकांड के शहीदों के नाम निवास पाण्डे, बघवा, जयमंगल सिंह, चंदवा, योगेन्द्र नारायण सिंह वंशी पुरान्दाहा, परमेश्वर दास रूपसपुर, शेख इशहाक, धमदाहा, लखी भगत, हरिनकोल, मोती मंडल, चन्दरही, बालो मारकंडेय, ढोकवा, रामेश्वेर पासवान, ढोकवा, बाबू लाल मंडल, बजरहा, हेम नारायण यादव, बरेना, भागवत महतो, चम्पावती, बालेश्वर पासवान, डिपोटी पुरान्दाहा, कुसुम लाल आर्य.
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