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कमजोर पड़ा डेंगू का डंक, सावधानी अब भी जरूरी

अब तक दर्ज हुए 23 मामले जबकि पिछले वर्ष इसकी संख्या 41 थी

अब तक दर्ज हुए 23 मामले जबकि पिछले वर्ष इसकी संख्या 41 थी

पूर्णिया. इस वर्ष जिले में डेंगू का डंक थोड़ा कमजोर पड़ा है जो सुखद है. हालांकि बरसात की समाप्ति के कगार पर अमूमन डेंगू का असर तेज रहता है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रायः सितम्बर के महीने में इसके प्रकोप का सबसे ज्यादा खतरा रहता है. उस अनुसार गत वर्ष सितम्बर माह में इसके मरीजों की संख्या 12 रही थी और बीते साल जिले में कुल 41 डेंगू के केस सामने आये थे. वहीं इस वर्ष सितम्बर के महीने में डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या थोड़ी सी ज्यादा 15 है जबकि इस वर्ष कुल डेंगू मरीजों की संख्या अबतक 23 तक पहुंची है. चिकित्सकों का कहना है कि अब इसका असर धीरे धीरे कम होगा लेकिन अक्टूबर माह में भी इसके फैलने का खतरा रहता है इसलिए अभी भी सावधानी बरतने की जरुरत है.

रैपिड एंटीजेन और एलिजा टेस्ट से होती है पहचान

चिकित्सकों के अनुसार डेंगू बुखार, डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है. यह एक विशेष प्रकार के एडीस मच्छर से फैलने वाला संक्रमण है. आम तौर पर इसके लक्षण फ़्लू से मिलते जुलते हैं. डेंगू बुखार में मरीज के खून में प्लेटलेट्स की संख्या काफी कम हो जाती है. डेंगू संक्रमण के कई लक्षण शरीर पर दिखाई पड़ते हैं इनमें तेज बुखार, उल्टी, पूरे शरीर में अत्यधिक दर्द प्रमुख हैं. लेकिन सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही डेंगू का संक्रमण नहीं माना जा सकता इसके लिए रक्त की जांच जरुरी है. रैपिड एंटीजेन और एलिजा टेस्ट के द्वारा इसकी पहचान की जाती है.

जीएमसीएच के ट्रामा सेंटर में बने हैं डेंगू वार्ड

डेंगू की संभावना के मद्देनजर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में स्थित ट्रामा सेंटर में पूर्व से ही डेंगू वार्ड बनाये गये हैं जहां डेंगू पीड़ित मरीजों का उपचार किया जाता है. लेकिन इस वर्ष कुछ मामलों को छोड़कर ज्यादातर मरीजों के समक्ष अधिक समय तक यहां रहने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई.

बोले एपिड़ेमोलोजिस्ट

इस वर्ष अभी तक डेंगू के कुल 23 मामले सामने आये हैं. सभी पीएचसी केन्द्रों में स्क्रीनिंग के बाद प्राथमिक स्तर पर जांच की सुविधा है अगर पॉजिटिव मामला होता है तो उनके सैम्पल को जीएमसीएच में जांच के बाद डेंगू कन्फर्म किया जाता है और सिमटम का इलाज किया जाता है. विशेष परिस्थिति के लिए जीएमसीएच में व्यवस्था की गयी है.

नीरज कुमार निराला, एपिड़ेमोलोजिस्ट जीएमसीएच

बचाव के उपाय

– घरों और आसपास की साफ़ सफाई जरुरी है- कहीं भी जलजमाव न हो- एसी, कूलर, फ्रीज ट्रे आदि में पानी जमा न होने दें- सोते समय दिन में भी मच्छरदानी का प्रयोग जरुर करें- मच्छर मक्खियों को पनपने से रोकें

डेंगू के संभावित लक्षण

– तेज बुखार का रहना,- मरीज को ठण्ड लगना- जोड़ों, पीठ, सिर, पेट या मांसपेशी में दर्द- त्वचा पर लाल चकत्ता अथवा धब्बा हो जाना- बार बार उल्टी का होना- थकान और बेचैनी होना- रक्तचाप का तेजी से गिरना

डेंगू होने पर मरीज का आहार विहार

– डेंगू की पुष्टि होने पर मरीज को आरामदायक स्थिति में रखने की जरुरत होती है- मरीज को मच्छरदानी के अन्दर रखें ताकि इसके वायरस को फैलने से रोका जा सके- मरीज को सुपाच्य भोजन ही देना चाहिए- शुद्ध पेयजल की पर्याप्त मात्रा का सेवन जरुरी है- ताजी सब्जियों के सूप, जूस, नींबू पानी, नारियल पानी लाभदायक हैं- संतरा, चुकंदर, पपीता एवं उसकी पत्तियों के रस का सेवन फायदेमंद है.

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