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किसी को भी किसी उम्र में हो सकता है एनीमिया : सिविल सर्जन

एनीमिया मुक्त भारत व बाल संवर्धन के लिए प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

एनीमिया मुक्त भारत व बाल संवर्धन के लिए प्रशिक्षण का हुआ आयोजन पूर्णिया. मानव शरीर के अन्दर रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाने से शरीर के विभिन्न हिस्सों और अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है. ऐसी स्थिति को रक्त अल्पता या एनीमिया कहा जाता है. यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है. इससे लोगों को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एनीमिया ग्रसित व्यक्ति की समय पर पहचान करते हुए उन्हें आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया जाता है. उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने सभी प्रखंड के स्वास्थ्य, आइसीडीएस और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को एनीमिया मुक्त भारत और बाल संवर्धन कार्यक्रम के तहत आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही. उन्होंने बताया कि बच्चों, किशोर-किशोरियों और गर्भवती-धात्री महिलाओं में एनीमिया के रोकथाम के लिए एनीमिया मुक्त भारत और बाल संवर्धन कार्यक्रम स्वास्थ्य, शिक्षा एवं समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में क्रियान्वित किया जा रहा है. इस एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उपस्थित सभी अधिकारियों को विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई गई. सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि किसी भी उम्र में किसी को भी एनीमिया हो सकता है. बच्चों में एनीमिया पोषण से संबंधित हो सकता है जबकि वयस्कों में एनीमिया अधिक या गंभीर रक्त स्राव, संक्रमण, अनुवांशिक रोग अथवा कैंसर के कारण हो सकता है. लक्षण के अनुसार ऐसे व्यक्ति की पहचान होने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा आवश्यक जांच करते हुए उपचार सुविधा उपलब्ध कराने से संबंधित व्यक्ति एनीमिया ग्रसित होने से सुरक्षित हो सकते हैं. खून में हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच से एनीमिया की मिलती है जानकारी यूनिसेफ पोषण विशेषज्ञ डॉ संदीप घोष ने बताया कि खून में हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच से ही पीड़ित होने की पुष्टि की जा सकती है. संबंधित व्यक्ति की आंखों के पालपेब्रल कंजक्टिवा का पीलापन, पीली त्वचा, नाखुनो में काइलोनीकिया, हाथों का पीलापन, जीभ की सूजन आदि इसके लक्षण प्रकट होते हैं. इनके अलावा जल्दी थक जाना व सांस फूलना, पढ़ाई, खेल व अन्य कार्यों में मन नहीं लगना, सुस्ती व नींद आते रहना, जल्दी-जल्दी बीमार पड़ना, भूख नहीं लगना आदि ऐसे में नजदीकी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों से जांच और आवश्यक उपचार कराने से संबंधित व्यक्ति एनीमिया से सुरक्षित हो सकते हैं. प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञों द्वारा बाल संवर्धन के लिए समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन के दस चरण की विस्तार से जानकारी दी गयी. अधिकारियों को बच्चों के विकास निगरानी और जनजागरूकता में आंगनबाडी सेविका एवं आशा के सहयोग, कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में रेफर करने में मदद, परिवारों और देखभाल करने वालों को परामर्श, उचित आहार और साफ-सफाई से संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया. आयोजित प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया के साथ साथ डीपीएम स्वास्थ्य सोरेंद्र कुमार दास, डीएम ई आलोक कुमार, डीपीओ शिक्षा शशि रंजन, मिड डे मील अधिकारी के साथ यूनिसेफ राज्य पोषण अधिकारी डॉ संदीप घोष, यूनिसेफ राज्य सलाहकार प्रकाश सिंह, यूनिसेफ जिला समन्वयक निधि भारती, यूनिसेफ सहयोगी समन्वयक शुभम गुप्ता और सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, फार्मासिस्ट, आइसीडीएस सीडीपीओ और प्रखंड शिक्षा अधिकारी एवं कर्मी उपस्थित रहे. ………….

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