रूपौली. अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन रूपौली ने खादी भंडार प्रांगण से कर्जमुक्ति मार्च निकाला . रूपौली बाजार होते हुए थाना चौक पर यह मार्च सभा में तब्दील हो गया. मार्च का नेतृत्व सुलेखा देवी, सीता देवी,संगीता देवी सहित दर्जनों महिलाओं ने किया. सभा को संबोधित करते हुए एपवा नेताओं ने कहा कि बिहार में गरीब और जरूरतमंद महिलाएं माइक्रोफाइनेंस संस्थान आदि से कर्ज लेती हैं, लेकिन आर्थिक सशक्तिकरण करने और गरीबी से मुक्ति दिलाने के बजाय कर्ज,महाजनी के मकड़जाल में बुरी तरह फंस जाती हैं. एक कम्पनी का कर्ज चुकाने के लिए दूसरे कई अन्य ऋण लेना उनकी मजबूरी हो जाती है. बढ़ती मंहगाई, घटती आय, रोजगार का अभाव और की जरूरतों के कारण महिलाएं कर्ज लेने के लिए मजबूर हो जाती हैं. कर्ज की किस्त समय पर नहीं चुकाने की वजह से महिलाएं भारी मानसिक तनाव में रहती हैं और कंपनियों के द्वारा कई तरह से उत्पीड़न झेलने की वजह से आत्महत्या,पलायान की शिकार हो जा रही हैं. सरकार और प्रशासन कंपनियों के उत्पीड़न रोकने में पुरी तरह विफल है. कर्ज मुक्ति मार्च के माध्यम से मांग की है कि सहायता समूह की सभी महिलाओं के 2 लाख तक का कर्ज माफ किया जाए. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के अत्याचार पर सरकार रोक लगाए. जीविका समूह से जुड़ी कैडरों के मानदेय देने की मांग की. सभी गरीब महिलाओं को रोजगार के लिए बिना सूद के सरकार कर्ज दे.
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