पूर्णिया : जिला में दलहन एवं तेलहन फसलों के आच्छादन एवं उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया जा चुका है. जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह ने बताया कि जिला में कुल दलहन के आच्छादन का 36000 हेक्टेयर एवं उत्पादन का 37963 मीट्रिक टन लक्ष्य निर्धारित है.
तेलहन फसलों के तहत कुल 8360 हेक्टेयर में आच्छादन एवं उत्पादन 14597 मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. दलहनी फसलों के तहत चना का आच्छादन 500 हेक्टेयर, मसूर का 4000 हेक्टेयर, मटर का 500 हेक्टेयर, अन्य दलहनों का 2000 एवं गर्मा मूंग का 29000 हेक्टेयर में लगाने का लक्ष्य है.
जबकि उत्पादन के लिए चना का 860, मसूर का 4746, मटर का 738, अन्य दलहनों का 2856 एवं गर्मा मूंग का 28763 मीट्रिक टन सहित कुल 37963 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य है. तेलहन फसलों का लक्ष्य तेलहन फसलों के तहत राई सरसों के आच्छादन का 5000 हेक्टेयर एवं उत्पादन का 7045 मीट्रिक टन, तीसी आच्छादन का 700 हेक्टेयर एवं उत्पादन का 955 मीट्रिक टन है.
सूर्यमुखी के आच्छादन का 300 हेक्टेयर एवं उत्पादन 780 मीट्रिक टन, सूर्यमुखी आच्छादन का 2300 हेक्टेयर, उत्पादन 5757 मीट्रिक टन, तिल का आच्छादन 60 हेक्टेयर एवं उत्पादन 60 मीट्रिक टन का लक्ष्य है. कुल मिला कर तेलहन के आच्छादन का 8360 हेक्टेयर एवं उत्पादन 14597 मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है.
तेलहन में सल्फर की अधिक आवश्यकता भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डा उज्जवल कुमार राय, सूरज प्रकाश, अश्वनी कुमार एवं सहायक निदेशक पौधा संरक्षण सतीश कुमार ने तेलहनों की खेती में वैज्ञानिक पद्धति एवं समय के अनुसार सही प्रभेदों का चयन तथा मिट्टी की जांच के बाद खादों के प्रयोग करने की सलाह दी है.
वैज्ञानिकों ने बताया कि कोशी क्षेत्र की मिट्टी अम्लीय है. तेलहन की खेती में सल्फर की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है. ऐसी भूमि के लिए एस एस पी खाद सर्वोत्तम है क्योंकि एसएसपी में 20 प्रतिशत कैल्शियम, 12 प्रतिशत सल्फर एवं 16 प्रतिशत अन्य तत्वों की मात्रा होती है.
उन्होंने कहा है कि क्षेत्र की मिट्टी में कैल्शियम की मात्रा भी कम है. कहा कैल्शियम मिट्टी को न्यूट्रल रखने में सहायक है और स्वाइल डेरीगेशन का भी काम करती है.