पूर्णिया : जिले के गौ पालकों ने दीपावली के दूसरे दिन परम्परा का निर्वाह करते हुए धूमधाम से गोवर्धन पर्व मनाया. इस दौरान पहले भगवान कृष्ण और फिर गौ माता की पूजा की गई. सुबह स्नान के बाद गौ पालकों ने भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा की.
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गोवर्धन पर्व पर की गयी गौ माता की पूजा
पूर्णिया : जिले के गौ पालकों ने दीपावली के दूसरे दिन परम्परा का निर्वाह करते हुए धूमधाम से गोवर्धन पर्व मनाया. इस दौरान पहले भगवान कृष्ण और फिर गौ माता की पूजा की गई. सुबह स्नान के बाद गौ पालकों ने भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा की. इस दौरान गाय को बांधने वाले खूंटे की […]
इस दौरान गाय को बांधने वाले खूंटे की भी पूजा गोवर्धन के रूप में की गई. फिर, गाय के चरण धोए गये और विधिवत पूजा व आरती की गई. कई गौ पालकों ने बताया कि गौ की सेवा करने से घर में दूध दही के भंडार भरे रहते हैं. इस मौके पर गौ पालकों ने अपने-अपने घरों में गौ माता को तिलक लगाने के बाद उनके माथे पर सिन्दूर लगा कर पूजा की और उनकी आरती भी उतारी.
इस दौरान सभी गायों की रस्सियां बदली गयी और रस्सियों को रंगने के बाद विधिवत उसका धारण कराया गया. गौ पालकों ने इस दौरान गौ माता को चढ़ावा भी चढ़ाया और प्रसाद ग्रहण किया. कई जगह पारम्परिक गीत भी गाए गये.
एेसी मान्यता है कि पहले इंद्र की पूजा होती थी. भगवान कृष्ण के कहने पर वृंदावन वासियों ने गाय की पूजा शुरू की.
इससे गुस्साए इंद्र ने तेज बारिश से पूरे राज्य को जलमग्न कर दिया. तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को हाथ की कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर नगरवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाया था. सात दिन लगातार बारिश करने के बाद इंद्र ने हार मान ली. तब से गोवर्धन पर्वत, गाय तथा भगवान कृष्ण की पूजा का चलन शुरू हुआ और आज भी गौ पालक इस परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं. गोवर्धन पर्व को लेकर शहर और गांवों के गौपालकों के घरों में सोमवार को उत्सव जैसा माहौल रहा.
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