संवाददाता,पटना
उन्होंने कहा कि बिहार के बुनकरों की मेहनत और हुनर को यदि सही दिशा, संसाधन और बाजार मिले तो यह क्षेत्र लाखों परिवारों के लिए आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन का माध्यम बन सकता है. सहकारिता विभाग इस दिशा में हरसंभव समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है.
मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार में लगभग 3.66 लाख बुनकर हैं जो 77 हजार करघों का संचालन करते हैं.भागलपुर, नालंदा, सिवान, मधुबनी और सीतामढ़ी हथकरघा गतिविधियों के प्रमुख केंद्र हैं. लोकप्रिय उत्पादों में भागलपुरी सिल्क, तसर साड़ियां, मधुबनी धोती और जनजातीय व ओरिएंटल डिजाइन वाली पारंपरिक चादरें शामिल हैं. राज्य में 406 प्राथमिक बुनकर सहकारी समितियां हैं तथा एक शीर्ष बुनकर सहकारी संघ हैं.बताया कि हथकरघा वस्त्र और बुनकर सहकारी समितियों को समर्थन देने के लिए चार क्षेत्रीय संघ स्थापित किये गये हैं, जिनका मुख्यालय नालंदा, सिवान, भागलपुर और मधुबनी जिलों में हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

