– स्वास्थ्य विभाग के आश्वासन पर इंटर्न डॉक्टरों ने हड़ताल वापस लिया, आज से लौटेंगे काम पर संवाददाता, पटना स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पीएमसीएच में मंगलवार को जूनियर डॉक्टर (इंटर्न) हड़ताल पर चले गये. इससे इलाज न मिलने से मरीजों को काफी परेशानी हुई. हालांकि दोपहर बाद स्वास्थ्य विभाग के आश्वासन के बाद इंटर्न डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली और बुधवार से काम पर लौटने को कहा. इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव लोकेश कुमार से वार्ता हुई, जिन्होंने एक सप्ताह में उनकी मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया, इसके बाद हड़ताल खत्म कर दी गयी. हालांकि हड़ताल के समय ओपीडी में इलाज कराने आये मरीज ओपीडी व पर्चा काउंटरों पर ताले लटकने से इधर-उधर भटकते रहे. चिकित्सकों ने ओपीडी परिसर के सामने धरना शुरू कर दिया. इसके चलते मरीजों की जांच, रिपोर्ट मिलना और भर्ती होना तक बाधित हो गया. हड़ताल के चलते महज 201 मरीजों का ही इलाज हुआ, जबकि करीब 1800 मरीज बिना इलाज के लौट गये. दूर-दराज से आये मरीज काफी परेशान हुए. खासकर कैंसर रोगियों की जांच व रिपोर्ट भी समय से नहीं मिल पायी. कर्मचारी को बाहर निकाला और रजिस्ट्रेशन व ओपीडी काउंटर में जड़ा ताला हड़ताली डॉक्टर्स सुबह 8:30 बजे तक परिसर में चले गये. वहीं जैसे ही रजिस्ट्रेशन काउंटर व ओपीडी काउंटर खुला, डॉक्टर्स मौके पर पहुंच गये और रजिस्ट्रेशन कर्मियों को बाहर निकालकर ताला लगा दिया. इससे पर्चे कटने बंद हो गये. पहले से लाइन में खड़े मरीज नाराज हो गये और हंगामा करना शुरू कर दिया. लेकिन डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के आगे उनकी एक नहीं चली और मजबूरी में उनको वापस लौटना पड़ा. मरीजों ने इको, टीएमटी समेत कई जांच बाहर से करायी अस्पताल में हड़ताल का असर इलाज के साथ-साथ जांच पर भी देखने को मिला. ओपीडी में संचालित इसीजी, इको और टीएमटी आदि जांच मरीजों की नहीं हो पायी. कई मरीज आइजीआइसी, न्यू गार्डिनर रोड सहित अन्य अस्पतालों से रेफर होकर पीएमसीएच आये थे, जिनको जांच कराना बहुत जरूरी था. लेकिन ओपीडी बंद होने के चलते ऐसे मरीजों की जांच नहीं हो पायी. चिकित्सकों ने तीनों जांच सेंटर में प्रवेश पर रोक ला दी थी. इधर जांच नहीं होने के चलते कई मरीजों को मजबूरी में बाहर से जांच करानी पड़ी. 20 हजार की जगह 40 हजार स्टाइपेंड की मांग प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि अभी स्टाइपेंड 20 हजार मिलता है, इसे बढ़ाकर 40 हजार करने की हम लोग मांग कर रहे हैं. बिहार छोड़कर ज्यादातर राज्यों में जूनियर डॉक्टरों को 40 हजार स्टाइपेंड मिलता है, लेकिन यहां उसका आधा है. हर तीन साल पर स्टाइपेंड बढ़ाने का प्रावधान है, लेकिन बिहार में इसकी अनदेखी होती है. इसके लिए कई बार हम लोगों ने लिखित आवेदन स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य मंत्री को दिया है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. अधीक्षक कार्यालय में बैठक, फिर खुला रजिस्ट्रेशन काउंटर बढ़ते मामले को देखते हुए अस्पताल के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने जूनियर डॉक्टरों की एक बैठक बुलायी, जिसमें इंटर्न डॉक्टरों ने अपनी मांग रखी. इसके बाद अधीक्षक ने उस मांग को स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों के पास भेजा. इधर अधीक्षक के कहने के बाद दोपहर एक बजे के बाद रजिस्ट्रेशन व ओपीडी काउंटर का ताला खोल दिया गया. करीब एक घंटे तक ओपीडी सेवा चली, इसके बाद 201 मरीजों का इलाज और करीब 100 मरीजों की जांच की गयी. केस 1 कुत्ता काटने के बाद पहुंची महिला, बाहर से खरीदना पड़ा इंजेक्शन राजेंद्रनगर की रहने वाली खुशबू कुमारी को कुत्ते ने काट लिया. परेशान महिला अपने पति के साथ पीएमसीएच पहुंची. लेकिन उनको ओपीडी में इलाज नहीं मिला. एक सीनियर डॉक्टर ने एंटी-रैबिज इंजेक्शन लगाने को कहा, महिला को इंजेक्शन नहीं मिला. पीड़िता ने बताया कि मजबूरी में उनको बाहर से इंजेक्शन खरीद कर लगाना पड़ा. केस 2 मुजफ्फरपुर के रहने वाले काशी कुमार का इलाज यूरोलॉजी विभाग के अंतर्गत चल रहा है. काशी को चिकित्सकों ने इसीजी जांच के लिए लिखा. वह अपने बेटे के साथ ओपीडी में पहुंचे, लेकिन बना जांच के लौटना पड़ा. केस 3 50 वर्षीय संजीत कुमार शर्मा हृदय रोग से पीड़ित हैं. संजीत की पत्नी ने बताया कि आइजीआइसी में डॉक्टरों ने इको जांच के लिए पीएमसीएच रेफर किया. यहां ओपीडी में आने के बाद पता चला कि कोई डॉक्टर नहीं है. यहां तक कि जांच भी नहीं हो रही है. ऐसे में मजबूरी में बिना जांच कराये ही लौटना पड़ा.
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