संवाददाता, पटनापर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ सुनील कुमार ने कहा है कि अब राज्य में पक्षियों की गणना सटीक तरीके से की जायेगी. साथ ही वेटलैंड्स का संरक्षण जरूरी है और यह सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. एशियन वाटरबर्ड सेंसस जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हमें प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करने का मौका मिलता है. मंत्री डॉ सुनील कुमार ने यह बातें शनिवार को विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर पटना के एक होटल में आयोजित “एशियन वॉटरबर्ड सेंसस इंडिया कोऑर्डिनेटर्स मीटिंग” के दौरान कहीं. यह दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक वेटलैंड संरक्षण, जलपक्षियों की निगरानी और राज्य-स्तरीय पहलों पर केंद्रित रही. इसका आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया ने संयुक्त रूप से किया था.
बिहार अपनी समृद्ध वेटलैंड विरासत के लिए जाना जाता है
इस दौरान विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बमहरा ने कहा कि बिहार अपनी समृद्ध वेटलैंड विरासत के लिए जाना जाता है. पक्षी हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के अभिन्न अंग हैं. उन्होंने बर्ड रिंगिंग एंड मॉनिटरिंग सिस्टम मोबाइल ऐप का उल्लेख किया, जो बीएनएचएस के तकनीकी सहयोग से बिहार की आइटी सेल द्वारा विकसित किया गया है. साथ ही यह रीयल-टाइम डेटा संग्रह, सत्यापन और विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है.
भविष्य की कार्ययोजना पर बनी रणनीति
बैठक में एडब्ल्यूसी इंडिया की अब तक की प्रगति, बीआरएमएस ऐप का उपयोग, बिहार में एडब्ल्यूसी को संस्थागत रूप देने की प्रक्रिया और भविष्य की कार्ययोजनाओं पर चर्चा की गई. इस बैठक की सबसे खास बात भारत के विभिन्न राज्यों से आए एडब्ल्यूसी राज्य कोऑर्डिनेटर की प्रस्तुतियां रहीं. गुजरात से लेकर जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, उत्तराखंड, झारखंड, पश्चिम बंगाल, गोवा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए जलपक्षी गणना कार्य, वेटलैंड की स्थिति और संरक्षण योजनाओं पर विस्तार से जानकारी साझा की. इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों से पर्यावरणविदों , शोधकर्ताओं और अधिकारियों ने भाग लिया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है