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राज्य में काबुली चना की डिमांड अधिक पर इसकी खेती की कोई योजना नहीं

राज्य में काबुली चना की डिमांड अधिक है. राज्य के गांव-शहरों में ठेले-खोमचों में काबुली चना की खपत सबसे अधिक है.

कृषि विभाग ने इस साल खेती की योजना तैयार की, काबुली चना योजना में शामिल ही नहीं संवाददाता, पटना राज्य में काबुली चना की डिमांड अधिक है. राज्य के गांव-शहरों में ठेले-खोमचों में काबुली चना की खपत सबसे अधिक है. पर्व में घरों और बाजारों में इसकी डिमांड और भी बढ़ जाती है. मगर, काबुली चना के लिए राज्य में कोई योजना नहीं चल रही है. इस वित्तीय वर्ष खेती की योजना तैयार करने के दौरान कृषि विभाग के समक्ष ये तथ्य सामने आया है. इसके बाद विभाग ने राज्य के सभी कृषि अधिकारियों को काबुली चना की खेती के लिए योजना तैयार करने का निर्देश दिया है. कृषि यंत्र क्लिनिक से बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार: इसके साथ ही खेती के क्षेत्र में गांव के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा. बेरोजगार युवाओं को कृषि यंत्रों, औजार मरम्मत का प्रशिक्षण मिलेगा. इसके बाद उन्हें कृषि विभाग की ओर से संचालित कृषि यंत्र क्लिनिक से जोड़ा जायेगा. क्लिनिक में उन्हें खराब यंत्रों की मरम्मत करने का काम मिलेगा. इससे उन्हें गांव में ही रोजगार मिलेगा. इसके साथ ही राजमा की खेती को भी बढ़ावा दिया जायेगा. स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती छोटे जिले में दो सौ और बड़े जिले में 400 एकड़ में होगी. बीज मूल्य पर सब्सिडी 50 से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. इसके साथ ही मक्का की खेती चिह्नित जिलों में ही मक्का कराने का निर्देश दिया गया. मक्का की खेती के लिए दक्षिण बिहार के जिलों को फाेकस करने की बात कही. 10 वर्ष से अधिक वाले धान के प्रभेद का उपयोग नहीं होगा: 10 वर्ष से अधिक समय के धान के प्रभेदों को योजना में शामिल नहीं करने का निर्देश दिया गया है.

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