Tejashwi Yadav: बिहार की राजनीति में शनिवार का दिन कई मायनों में अहम रहा। राजद नेता तेजस्वी यादव को न सिर्फ विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया, बल्कि इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) के सभी घटक दलों ने भी उन्हें विधानमंडल में अपना नेता मान लिया. पोलो रोड स्थित तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में सभी दलों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया. लेकिन निर्णय के ठीक बाद ही गठबंधन के भीतर असहमति की आवाजें तेज हो गईं, खासकर तब जब राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल के बयान ने कांग्रेस के प्रति तल्खी को उजागर कर दिया.
इंडिया गठबंधन की बैठक में सर्वसम्मति से चुने गए नेता
बैठक की अध्यक्षता राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने की, जिसमें राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के साथ सभी विधायक मौजूद रहे. कांग्रेस की ओर से एमएलसी समीर कुमार सिंह, विधायक अभिषेक रंजन और सुरेंद्र कुशवाहा बैठक में शामिल हुए. इसके अलावा सीपीआई, सीपीएम, माले और इंडियन इंक्लूसिव पार्टी के प्रतिनिधियों ने भी तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर मुहर लगाई.
बैठक के बाद राजद प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा सचिव को आधिकारिक चिट्ठी सौंप कर बता दिया कि तेजस्वी यादव को राजद विधायक दल का नेता चुना गया है. माना जा रहा है कि इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष जल्द ही तेजस्वी यादव को विपक्ष का नेता घोषित करेंगे.
गठबंधन की एकजुटता पर सवाल, कांग्रेस-राजद के बीच बढ़ती तल्खी
सर्वसम्मति के दावों के विपरीत, महागठबंधन के भीतर खींचतान खुलकर सामने आ गई है. राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो अतिरिक्त वोट मिले, वह राजद की वजह से मिले हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में जनाधार राजद का है और कांग्रेस की सीटें भी राजद के सहयोग से बढ़ीं.
उन्होंने यहां तक कह दिया कि 2020 के चुनाव में कांग्रेस 71 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन सिर्फ 19 सीट जीत सकी. “अगर कांग्रेस मानती है कि वह बिहार में अकेले चुनाव लड़ सकती है, तो लड़े… किसने रोका है,” उन्होंने कहा. बाद में उन्होंने इसे अनौपचारिक टिप्पणी बताकर बचने की कोशिश की.
इस बयान ने महागठबंधन में बनी महीन दरारों को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद तेजस्वी यादव की भूमिका मजबूत तो हुई है, लेकिन गठबंधन की एकजुटता को बनाए रखना अब बड़ी चुनौती होगी.
राजद ने तैयार की 222 ‘भितरघातियों’ की सूची, बड़े एक्शन की तैयारी
चुनाव नतीजों के बाद राजद ने अंदरूनी कमजोरियों की पहचान शुरू कर दी है. पार्टी ने अलग-अलग स्तरों पर हार के कारणों की समीक्षा करते हुए 222 ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की सूची तैयार की है, जिन पर भितरघात का आरोप है.
26 नवंबर से हारे हुए प्रत्याशियों से प्रतिवेदन लिया जा रहा है और 4 दिसंबर तक यह प्रक्रिया चलेगी. इसके बाद 5 से 10 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों से फीडबैक लिया जाएगा.
राजद सूत्रों का कहना है कि सत्यापन के बाद इन 222 लोगों पर कड़ी कार्रवाई तय है. पार्टी मान रही है कि अंदरूनी असंतोष और भितरघात ने कई सीटों पर सीधे नुकसान पहुंचाया है.
विधानमंडल सत्र की रणनीति पर तेजस्वी की पहली बैठक
नेता चुने जाने के बाद तेजस्वी यादव ने गठबंधन के सभी दलों के साथ एक दिसंबर से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र की रणनीति पर चर्चा की. माना जा रहा है कि विपक्ष इस सत्र में बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था और किसान मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है.

