-छात्रों ने बिहार में एमबीबीएस सीट अलॉटमेंट में अनियमितता का लगाया था आरोप संवाददाता, पटना बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (बीसीइसीइबी) की ओर से एमबीबीएस में एडमिशन की प्रक्रिया जारी है. इस दौरान गलत दिव्यांगता प्रमाणपत्र जमा करने वाले छह अभ्यर्थियों को पकड़ा गया है. एफआइआर की प्रक्रिया जारी है. अब भी गलत दिव्यांगता प्रमाण पत्र जमा करने वाले अभ्यर्थियों की जांच की जा रही है. जैसे ही विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से जांच पड़ताल के बाद दिव्यांगता प्रमाणपत्र की जानकारी प्राप्त हो रही है, वैसे ही उन आवेदनों को निरस्त कर दिया जा रहा है. बीसीइसीइ के ओएसडी अनिल कुमार ने बताया कि अब तक छह फर्जी प्रमाणपत्र जमा करने वाले अभ्यर्थियों को पकड़ा गया है. गलत प्रमाणपत्र जमा करने वाले छात्रों पर कार्रवाई की जायेगी. गलत तरीके से नामांकन लेने वाले पर प्राथमिकी भी दर्ज करायी जायेगी. इधर एमबीबीएस के सीट अलॉटमेंट में अभ्यर्थियों ने अनियमितता की शिकायत की थी. अभ्यर्थियों ने परीक्षा नियंत्रक को पत्र लिखकर दिव्यांग कोटि में बिना प्रमाणपत्र जांच किये अलॉटमेंट किये जाने की बात कही थी, जिसके चलते पहली और दूसरी काउंसेलिंग में वैसे अभ्यर्थियों को भी सीट अलॉटमेंट हो गया, जिन्होंने गलती से दिव्यांग कोटि में आवेदन कर दिया है. कुछ ऐसे भी अभ्यर्थी उसमें शामिल हैं, जो सामान्य कोटि के हैं, लेकिन बोर्ड द्वारा जांच नहीं किये जाने की स्थिति में फर्जी दिव्यांगता का प्रमाणपत्र देकर मेडिकल कॉलेजों में नामांकन कराने में सफल हो गये हैं. ऐसे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए बीते 24 सितंबर को नेशनल मेडिकल कमीशन ने सभी राज्यों के काउंसेलिंग बोर्ड को पत्र जारी कर दिव्यांगता जांच के लिए ऑल इंडिया के निर्धारित केंद्रों से निर्गत प्रमाणपत्रों के आधार पर दिव्यांग अभ्यर्थियों की मेधा सूची तैयार करने के बाद काउंसेलिंग कराने का निर्देश दिया है. छात्रों ने बिहार में मेडिकल कॉउंसेलिंग कमेटी और नेशनल मेडिकल कमीशन के निर्देशों को दरकिनार करते हुए बीसीइसीइबी पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. अभ्यर्थियों ने पर्षद द्वारा दिव्यांग कोटि के अलॉटमेंट में पारदर्शिता नहीं बरतने का आरोप लगाया है.
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