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जमीन सर्वे को लेकर रैयत अब उपलब्ध कागजों के आधार पर ही कर सकेंगे स्वघोषणा

जमीन सर्वे को लेकर रैयत अब उपलब्ध कागजों के आधार पर ही कर सकेंगे स्वघोषणा

संवाददाता, पटनाराज्य में जमीन सर्वे के लिए अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 तक ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से एक करोड़ 15 लाख 916 स्वघोषणा प्राप्त हुई है. कुछ जिलों में स्वघोषणा की संख्या बहुत कम रही. यह जानकारी जमीन सर्वे की समीक्षा के दौरान मिली. ऐसे में खराब परफॉर्मेंस वाले शिविरों के कर्मियों को 15 दिनों में प्रदर्शन सुधारने की चेतावनी दी गई है. प्रदर्शन नहीं सुधरने पर उन्हें कार्य मुक्त करने की कार्रवाई शुरू की जाएगी. यह निर्देश राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री संजय सरावगी ने सर्वे निदेशालय के अधिकारियों के साथ समीक्षा के बाद दिये. इस बैठक का आयोजन गुरुवार को पुराना सचिवालय स्थित मंत्री के कार्यालय कक्ष में किया गया. समीक्षा के बाद मंत्री श्री सरावगी ने आम लोगों से अपील की है कि स्वघोषणा के लिए फिलहाल जमीन के जितने कागजात रैयत के पास उपलब्ध हैं, उतने ही संलग्न कर दें. बचे हुये कागजात का इंतजाम किस्तवार एवं खानापुरी के समय तक कर लें.

समीक्षा बैठक में विभाग के सचिव जय सिंह भी उपस्थित थे. बैठक में स्वघोषणा की तिथि बढ़ाने की संभावना पर भी चर्चा की गई. तिथि बढ़ाने के क्रम में आनेवाली तकनीकी और विधिक कठिनाइयों पर भी विचार किया गया. श्री सरावगी ने उपस्थित अधिकारियों को कहा कि सर्वर की खराबी से संबंधित काफी शिकायतें मिल रही हैं. इसकी वजह से भी भूमि सर्वे में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पा रही है. निदेशालय की आईटी टीम ने बताया कि सभी नौ प्रमंडलों का डाटा अलग करने में समय लगा है. अब तेजी से डाटा आ रहा है. आईटी टीम ने मंत्री श्री सरावगी को स्वघोषणा ऑनलाइन जमा करने की प्रक्रिया को डेमो करके दिखाया. इस दौरान सर्वे निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि 31 मार्च तक दूसरे चरण में 36 जिलों के सभी 445 अंचलों (सर्वे शिविरों) में रैयतों द्वारा स्वघोषणा ऑफलाइन भी जमा किया गया.

बॉक्सइन अंचलों में स्वघोषणा की संख्या सबसे कमसमीक्षा बैठक में जानकारी मिली कि पश्चिम चंपारण जिले के पांच अंचलों में स्वघोषणा की संख्या सबसे कम रही. इनमें बेतिया, पिपरासी, मधुबनी, ठकराहा और भितहा शामिल हैं. इसी प्रकार पूर्वी चंपारण जिले के पांच अंचलों में स्वघोषणा की संख्या सबसे कम रही. इनमें पिपराकोठी, तुरकौलिया, बनकटवा, छौड़ादानो और रक्सौल शामिल हैं. चंपारण के ये 10 अंचल पूरे बिहार में स्वघोषणा प्राप्त करने में सबसे पीछे रहे. बेतिया सदर में अब तक मात्र 187 स्वघोषणा ही प्राप्त हुई है जबकि पिपरासी अंचल में प्राप्त स्वघोषणा की संख्या मात्र 524 है.

बॉक्ससबसे अधिक स्वघोषणा वाले अंचलदूसरी तरफ अररिया सदर अंचल में रैयतों से प्राप्त स्वघोषणा की संख्या एक लाख 36 हजार 777 पहुंच गई है. दूसरे नंबर पर आने वाले दरभंगा के बिरौल शिविर में कुल एक लाख 14 हजार 67 स्वघोषणा प्राप्त हुई है. दरभंगा का बहेड़ी, कुशेश्वर स्थान, अररिया का जौकी हाट, फारबिसगंज और पलासी में भी बड़ी संख्या में रैयतों ने स्वघोषणा जमा किया है. इसी प्रकार समस्तीपुर के कल्याणपुर और औरंगाबाद के नबीनगर सर्वे शिविर की स्थिति भी स्वघोषणा प्राप्त करने के मामले में संतोषप्रद रही है.

जमीन पैमाइश में गड़बड़ी की अब डीसीएलआर कोर्ट में ऑनलाइन कर सकेंगे अपील

जमीन पैमाइश में गड़बड़ी की अपील अब डीसीएलआर कोर्ट में ऑनलाइन की जा सकेगी. इसके साथ ही रैयती और सरकारी जमीन की मापी की प्रक्रिया ई-मापी पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन की जा चुकी है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक अप्रैल से इस व्यवस्था की शुरुआत कर दी है. इसके अनुसार रैयत अब मापी अपील आवेदन भी ऑनलाइन कर सकेंगे. साथ ही इसकी आगे की सभी प्रक्रिया भी ऑनलाइन होगी. इसमें आवेदन के गुण या दोष की जांच, सुनवाई की तिथि, मापी आवेदन शुल्क जमा करना, अमीन को मापी की जिम्मेदारी देने सहित मापी की रिपोर्ट ऑनलाइन होना शामिल है.

विभागीय सूत्रों अनुसार नई व्यवस्था एक अप्रैल 2025 से लागू होने के बाद अब मापी के अपील का आवेदन ऑफलाइन माध्यम से स्वीकार नहीं होगा. अब सभी मापी अपील का निपटारा केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्राप्त आवेदनों पर सुनवाई के बाद किया जायेगा. इसका मकसद जमीन की मापी में बड़ी संख्या में परेशान लोगों या रैयतों को राहत दिलाना है. साथ ही जमीन विवाद के समाधान में सार्थक पहल करना है. जानकारों का कहना है कि यदि जमीन की मापी सही तरीके से हो जायेगी तो अधिकांश विवादों का समाधान ऑनस्पॉट हो सकता है.

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