संवाददाता, पटना: एएन कॉलेज एवं भारतीय शिक्षण मंडल, दक्षिण बिहार प्रांत पटना की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन ‘भारतीय शिक्षण प्रणाली में मंडल संचालन का महत्व’ विषय पर हुआ. सर्वे भवंतु सुखीन: ही भारतीय शिक्षण प्रणाली का आधार पर प्रो कुलश्रेष्ठ ने अपनी बातें रखी. यह कार्यशाला दो सत्रों में आयोजित की गयी. प्रथम सत्र में भारतीय शिक्षण मंडल के अधिकारियों ने संगठन के विभिन्न कार्यों पर प्रकाश डाला. इस सत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के संयोजक डॉ विकाश कुमार ने भारतीय ज्ञान परंपरा के विषय वस्तु, महत्व और संकल्पना पर प्रकाश डाला. मुख्य वक्ता के रूप में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हिमाचल प्रदेश धर्मशाला से प्रो संदीप कुलश्रेष्ठ थे. उन्होंने तैत्तरिय उपनिषद् में अंकित आदर्श श्लोक का भी जिक्र किया. अतिथि देवो भव: तथा सर्वे भवंतु सुखीन: हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए. कार्यशाला की अध्यक्षता कर रही प्रधानाचार्या प्रो रेखा कुमारी ने अपने उद्बोधन में भारतीय समृद्ध ज्ञान परंपरा पर सूक्ष्म दृष्टि डाली. उनका कहना था कि हमारी संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है. यह विदित है कि हम विश्व गुरु रहे हैं और आज भी हैं आवश्यकता है कि हमें पुनः अपनी संस्कृति को पुनरुत्थान करने का प्रयास करना है. आइआइटी के प्रो एके ठाकुर ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल अनवरत रूप से हमारे देश में विभिन्न प्रकार के विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करती रही है. शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय जीवन दृष्टि को पुनर्स्थापित करना शिक्षण मंडल का मूल्य उद्देश्य है. भारतीय शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल के कार्य सोपान के रूप में अनुसंधान, प्रबोधन, प्रकाशन, प्रशिक्षण, संगठन निहित है. विभिन्न विद्वानगणों में भारतीय ज्ञान परंपरा पर अपना-अपना मत प्रस्तुत किया, जिसमें प्रो तृप्ति गंगवार, प्रो नरेंद्र कुमार, डॉ गौरव सिक्का, डॉ मनोज कुमार, डॉ शालिनी, डॉ संजीत लाल, डॉ अमर एवं अन्य लोग मौजूद थे. मंच संचालन डॉ निहारिका कुमारी और धन्यवाद ज्ञापन प्रो राणा ने किया.
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