Bihar: नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के पटना क्षेत्रीय कार्यालय में भ्रष्टाचार के गहरे खेल का पर्दाफाश करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मंगलवार को पटना की विशेष अदालत में एक अहम चार्जशीट दाखिल कर दी. इस केस की शुरुआत 22 मार्च 2025 को हुई थी, जब CBI ने एक फील्ड ऑपरेशन में NHAI के GM रामप्रीत पासवान और निजी निर्माण कंपनी ‘राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड’ के तीन अधिकारियों को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था. यह रिश्वत कंपनी के बिल पास कराने के बदले ली जा रही थी.
चार्जशीट में पांच नामजद
CBI ने चार्जशीट में जिन नामों को शामिल किया है, उनमें रामप्रीत पासवान के अलावा कंपनी के जीएम सुरेश महापात्रा, कर्मचारी वरुण कुमार, चेतन कुमार और एक अज्ञात व्यक्ति का नाम शामिल है. इसके साथ ही राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को संस्थागत आरोपी के रूप में पेश किया गया है. सभी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं.
पटना से रांची तक ताबड़तोड़ छापेमारी
गिरफ्तारी के तुरंत बाद सीबीआई की टीमें सक्रिय हो गईं और पटना के अलावा रांची, वाराणसी, समस्तीपुर और अन्य शहरों में एकसाथ छापेमारी की गई. इन छापों में भारी मात्रा में नकदी, मोबाइल, लैपटॉप, पेन ड्राइव और भ्रष्टाचार से जुड़ी कई गोपनीय फाइलें जब्त की गईं. कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है ताकि घूसखोरी की जड़ तक पहुंचा जा सके.
बेउर जेल भेजे गए आरोपी, कोर्ट में जल्द शुरू होगी सुनवाई
गिरफ्तारी के बाद सभी अभियुक्तों को पटना स्थित विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में बेउर जेल भेज दिया गया. अब इस चार्जशीट के दाखिल होने के बाद अदालत में नियमित सुनवाई की प्रक्रिया शुरू होगी. संभावना जताई जा रही है कि CBI इस केस को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ले जाकर जल्द से जल्द सजा दिलाने की कोशिश करेगी.
12 लोगों के खिलाफ दर्ज है नामजद FIR
CBI अब तक इस मामले में 12 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कर चुकी है. चार्जशीट सिर्फ छह पर दाखिल हुई है, बाकी अभियुक्तों की भूमिका की जांच अभी जारी है. एजेंसी को आशंका है कि इस भ्रष्ट नेटवर्क में कुछ और बड़े नाम शामिल हो सकते हैं जो सिस्टम का फायदा उठाकर करोड़ों की लेन-देन में शामिल थे.
सड़क निर्माण की फाइलों में चल रहा था घूस का कारोबार
यह मामला सिर्फ एक घूसखोरी नहीं, बल्कि पूरे निर्माण तंत्र में फैली सड़ांध की एक बानगी है. NHAI जैसे राष्ट्रीय स्तर की संस्था में बैठे अधिकारी जब सड़क निर्माण जैसे जरूरी कार्यों में भी रिश्वत को प्राथमिकता देने लगें, तो इसका सीधा असर आम जनता की सुरक्षा और सुविधाओं पर पड़ता है. बिहार में चल रहे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की पारदर्शिता अब सवालों के घेरे में है.
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न्याय की रफ्तार और सिस्टम की सफाई पर टिकी हैं निगाहें
अब इस बात पर सबकी निगाहें टिकी हैं कि अदालत इस केस को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या यह कार्रवाई सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति बनकर रह जाती है या भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त उदाहरण बनती है. अगर दोषियों को समय रहते कड़ी सजा मिलती है, तो यह मामला आने वाले वक्त में सरकारी निर्माण विभागों के लिए एक चेतावनी साबित हो सकता है.