Patna Crematorium: जीवन और मृत्यु के बीच की महीन रेखा को अक्सर लोग शोक और नकारात्मकता से जोड़ते हैं. लेकिन राजधानी पटना का बांसघाट शवदाह गृह इस सोच को बदलने की दिशा में एक अनोखी पहल कर रहा है.
करीब 89.40 करोड़ रुपये की लागत से पटना स्मार्ट सिटी और बुडको द्वारा तैयार किया जा रहा यह अत्याधुनिक श्मशान घाट न केवल आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा, बल्कि अपने परिसर में ऐसी कलाकृतियां और प्रतीक स्थापित करेगा जो लोगों को यह संदेश देंगे कि मृत्यु अंत नहीं, बल्कि जीवन चक्र का एक हिस्सा है.
आधुनिक सुविधाओं से लैंस होगा श्मशान घाट
यहां इलेक्ट्रिक क्रीमेशन ओवन और वुड क्रीमेशन की व्यवस्था की गई है. धुएं को नियंत्रित करने के लिए पांच चिमनी स्टैक लगाए गए हैं, ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे. उम्मीद है कि इस माह के अंत तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका उद्घाटन करेंगे.
लेकिन इस श्मशान घाट की सबसे बड़ी विशेषता इसका सौंदर्यीकरण है. परिसर की दीवारों पर जीवन के जन्म से लेकर मृत्यु तक की यात्रा को चित्रों के माध्यम से दर्शाया जा रहा है. इनमें शांति और आध्यात्मिक संदेश देने वाले स्लोगन भी लिखे जाएंगे.
हरिश्चंद की कहानी उकेरी जाएगी
सबसे खास पहल राजा हरिश्चंद्र की कहानी को उकेरना है. सत्य और कर्तव्य परायणता के प्रतीक माने जाने वाले राजा हरिश्चंद्र की तस्वीर और उनकी जीवनकथा यहां शोक में डूबे परिजनों को यह याद दिलाएगी कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, सत्य और धर्म का पालन ही स्थायी है. यह संदेश लोगों को मानसिक सहारा देगा और उन्हें दुःख की घड़ी में भी दृढ़ बने रहने की प्रेरणा देगा.
श्मशान घाट के मुख्य द्वार भी प्रतीकात्मक रूप से तैयार किए जा रहे हैं. इनमें से एक का नाम ‘मोक्ष द्वार’ और दूसरे का ‘बैकुंठ द्वार’ होगा. मोक्ष द्वार धौलपुर पत्थर से तैयार किया जा रहा है और इसकी ऊंचाई करीब 46.58 फुट होगी. दोनों द्वारों पर कांसे से बना ‘ॐ’ चिह्न स्थापित किया जाएगा। यह दृश्य लोगों को आध्यात्मिकता और शांति की अनुभूति कराएगा.
तालाब में होगा गंगा का पानी
परिसर में दो तालाब भी बनाए जा रहे हैं. इनमें से एक लगभग तैयार हो चुका है, जिसमें गंगा का पानी पाइपलाइन से आएगा. इन दोनों तालाबों के बीच 12 फुट ऊंची आदिशक्ति की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. प्रतिमा के पास फव्वारे और रंग-बिरंगी लाइटें लगाई जाएंगी, जिससे वातावरण और भी सकारात्मक बनेगा.
बुडको के एमडी अनिमेष कुमार पराशर के अनुसार, श्मशान घाट को लोग हमेशा शोक और उदासी से जोड़ते हैं. लेकिन इस परियोजना का मकसद इस धारणा को बदलना है. आदिशक्ति की प्रतिमा जहां शक्ति और सृजन का प्रतीक होगी, वहीं यह लोगों को यह भी याद दिलाएगी कि मृत्यु अंत नहीं है, बल्कि जीवन के निरंतर चक्र का हिस्सा है.
जीवन और मृत्यु के गहरे संदेशों को समझाने का प्रयास
इस पूरे परिसर का डिजाइन ऐसा है कि यहां आने वाले लोग केवल अंतिम संस्कार की रस्म अदा करके लौटें ही नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु के गहरे संदेशों को महसूस भी करें. जहां एक ओर आधुनिक तकनीक प्रदूषण और पर्यावरण के नुकसान को रोकने में मदद करेगी, वहीं कला और आध्यात्मिक प्रतीक लोगों को दुःख की घड़ी में मानसिक और भावनात्मक संबल प्रदान करेंगे.
बांसघाट श्मशान गृह का यह नया स्वरूप न केवल राजधानी पटना बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बनेगा। यह दिखाएगा कि अंतिम संस्कार स्थलों को केवल उदासी और भय से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, बल्कि इन्हें जीवन, धर्म और सत्य के संदेश देने वाला स्थल भी बनाया जा सकता है.

