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Patna Book Fair: चीन के ये लेखक हुए पटना में सुपरहिट! क्या आप जानते हैं ‘चमकीले बादल’ में क्या है खास?

Patna Book Fair: गांधी मैदान में आयोजित पुस्तक मेले इस बार चीनी साहित्य की जोरदार मांग देखी जा रही है. युवा पाठक माओ युग से आधुनिक चीन तक की कहानियों, उपन्यासों और इतिहास पर आधारित किताबें तेजी से खरीद रहे हैं. हाओ जान, वेन यिन, लियांग हुआ और इजराइल एप्सटाइन जैसे लेखकों की पुस्तकों की बिक्री सबसे ज्यादा बढ़ी है.


Patna Book Fair:
पटना पुस्तक मेले में युवा पाठकों में चीनी साहित्य को लेकर खास उत्साह देखा जा रहा है. उपन्यास, कहानी, निबंध और ऐतिहासिक पुस्तकों के बीच चीन के लेखकों और वहां के समाज पर आधारित किताबें भी तेजी से बिक रही हैं. मेले में लगे विदेशी साहित्य के स्टॉल पर इन पुस्तकों की सबसे अधिक मांग है. हालांकि, ये सभी किताबें हिंदी में अनुवादित हैं.

स्टॉल संचालक गौरव और सत्येंद्र बताते हैं कि जितनी बिक्री चीनी लेखकों की किताबों की हो रही है, उतनी इस सेक्शन में किसी अन्य देश की पुस्तकों की नहीं. वे कहते हैं कि राम कवींद्र की ‘चीन: साम्राज्यवाद की ओर बढ़ते कदम’ सबसे ज्यादा बिक रही है. इसके अलावा हाओ जान, वेन यिन, लियांग हुआ, इजराइल एप्सटाइन और मोबोगाओ की किताबें लगातार मांगी जा रही हैं.

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उत्तरी चीन के गांवों पर आधारित कहानी संग्रह की डिमांड

युवाओं की पसंद में हाओ जान की कहानी संग्रह ‘चमकीले बादल’ सबसे ऊपर है. इस संग्रह में आठ कहानियां हैं, जो उत्तरी चीन के गांवों में चल रहे कृषि आंदोलन, मजदूरों की नई सोच, महिला स्वतंत्रता और सामूहिक जीवन की जद्दोजहद को दिखाती हैं. वहीं, वेन यिन और लियांग हुआ की पुस्तक ‘तचाई’ भी अच्छी बिक्री कर रही है. यह चीन की समाजवादी कृषि व्यवस्था और माओ त्से-तुंग के ‘तचाई से सीखें’ वाले आह्वान की पृष्ठभूमि पर आधारित है. इसमें बताया गया है कि कैसे पहाड़ी इलाके के किसानों ने आत्मनिर्भरता और कठिन संघर्ष के बल पर कृषि में रिकॉर्ड उपलब्धियां हासिल कीं.

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इतिहास के छात्र ले रहे इजराइल एप्सटाइन की पुस्तक

इतिहास में रुचि रखने वाले पाठकों की पसंद है इजराइल एप्सटाइन की रचना ‘अफीम युद्ध से मुक्ति तक’ में देखी जा रही है. इसमें 1840 से 1949 तक के चीन के संघर्षों और स्वतंत्रता की लड़ाई का गहन विश्लेषण है. इसके अलावा ‘समाजवादी चीन की याद में’, ‘नौजवान जहाजी और अन्य कहानियां’ और ‘बीज और अन्य कहानियां’ जैसे संग्रह भी युवाओं द्वारा खरीदे जा रहे हैं. ये किताबें सांस्कृतिक क्रांति, समाजवादी निर्माण और मजदूर-किसान जीवन के बदलावों को केंद्र में रखकर लिखी गई हैं.

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पाठक बोले-
पुस्तक खरीद रही 22 वर्षीय पाठिका प्रिया सिंह कहती हैं कि हम चीन को सिर्फ खबरों या राजनीतिक विवादों के नजरिए से जानते हैं. इन किताबों में हमें चीन के असली समाज, गांव, लोगों के संघर्ष और उनके जीवन की झलक मिलती है. इसलिए मैं यह साहित्य पढ़ना चाहती हूं. वहीं, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे आजाद महतो बोले पड़ोसी देशों को समझने के लिए किताबों को सबसे विश्वसनीय माध्यम है.

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