पटना : बिहार विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस लेकर सूबे की सियासत को गरमा दिया है. हालांकि, उन्होंने कहा है कि ”मैं अभी तक किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हुआ हूं और मैंने अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है. जहां तक सामाजिक कार्यों का सवाल है, मैं इसे राजनीति में प्रवेश किये बिना भी कर सकता हूं.” वहीं, उन्होंने सोशल मीडिया के प्लेटफार्म फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर 23 सितंबर की शाम को छह बजे लाइव होने की बात कही है. गुप्तेश्वर पांडेय फरवरी 2021 में सेवानिवृत्त होनेवाले थे. 1987 बैच के आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय के चुनावी मैदान में उतरने की संभावना जतायी जा रही है. हालांकि, अभी तक उन्होंने घोषणा नहीं की है.
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गुप्तेश्वर पांडे पहले भी चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे चुके हैं. साल 2009 में भी उन्होंने वीआरएस लेकर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. इस्तीफे के नौ महीने बाद गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार सरकार से इस्तीफा वापस लेकर नौकरी करने की गुहार लगायी. तत्कालीन नीतीश सरकार ने अर्जी को स्वीकार करते हुए इस्तीफा वापस कर दिया. इसके बाद वह फिर नौकरी में वापस आ गये. उससमय वह आईजी थे. साल 2019 में बिहार के डीजीपी का प्रभार ग्रहण करने के बाद अब एक बार फिर 2020 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है.
गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने सोशल मीडिया के ट्विटर और फेसबुक अकाउंट पर शाम छह बजे लाइव होने की बात कही है. साथ ही उन्होंने एक कैप्शन भी लिखा है- ”मेरी कहानी, मेरी जुबानी…”. संभावना जतायी जा रही है कि लाइव होने के दौरान गुप्तेश्वर पांडेय चुनाव संबंधी घोषणा कर सकते हैं.
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बिहार पुलिस को महाराष्ट्र भेजने और महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार द्वारा बिहार सरकार पर हमले किये जाने के बाद नीतीश सरकार के बचाव में खुले तौर पर उतर आये. उनके बयानों को लेकर कयास लगाया जाने लगा था कि गुप्तेश्वर पांडेय बिहार की सियासत में दांव आजमायेंगे. लेकिन, सेवानिवृत्ति से पांच माह पहले नौकरी छोड़ कर राजनीति में आने की सुगबुगाहट भी नहीं थी.
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा था, ”सुशांत बिहार का बेटा था. रहस्मय ढंग से मौत हुई. मौत होने के बाद उसकी जांच हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला और उसको आत्महत्या का मामला घोषित कर दिया गया. 14 जून की घटना 21 जून तक ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इधर, सुशांत के बूढ़े पिता एक-डेढ़ महीने के बाद हमारे पास आये और साजिश की आशंका जतायी है. उन्होंने पूरी कहानी बतायी. उनके बयान के आधार पर बिहार में मुकदमा दर्ज किया गया और फिर बिहार पुलिस की टीम मुंबई गयी. मुंबई जाने पर बिहार पुलिस की टीम के साथ क्या हुआ सबको पता है.”