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बिहार के इस पुल हादसे को लेकर NGT में केस दर्ज, क्या डॉल्फिन के बड़े प्रोजेक्ट पर मंडरा रहा खतरा…?

बिहार में इस पुल हादसे को लेकर अब एनजीटी में केस दर्ज किया गया है. इंजीनियर का दावा है कि इस पुल हादसे की वजह से डॉल्फिन से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट पर खतरा मंडरा रहा है.

NGT News: बिहार में भागलपुर के सुल्तानगंज और अगुवानी घाट के बीच बन रहे सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के ढहने से अब उसके मलवे ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की चिंता बढ़ा दी है और एनजीटी ने केस दर्ज किया है. अगले साल 6 जनवरी को इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के इस्टर्न जोन बेंच कोलकाता में सुनवाई होगी. एनजीटी के इंजीनियर की तरफ से दाखिल पिटीशन के बाद यह केस दर्ज किया है. इंजीनियर का दावा है कि पुल हादसे से विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य को बड़ा नुकसान हुआ है.

एनजीटी में केस दर्ज, 7 एजेंसियों को पार्टी बनाया

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस मामले में जो केस दर्ज किया है उसमें राज्य और केंद्र की कुल 7 एजेंसियों को पार्टी बनाया गया है. अगले साल जब कोलकाता में इस मामले की सुनवाई होगी तो इन सातों एजेंसियों के प्रतिनिधियों को ट्रिब्यूनल में पेश होना होगा. ऐसा निर्देश दिया गया है.

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इन 7 एजेंसियों को बुलाया

इस केस में बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, भागलपुर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा , डिपार्टमेंट ऑफ इन्वायरमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज बिहार और इसके रीजनल कार्यालय, बिहार के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन और भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति को पार्टी बनाया गया है.

सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल हादसा

गौरतलब है कि बीते 4 जून को गंगा नदी पर बन रहा बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल का बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया था. इस हादसे ने बिहार से लेकर दिल्ली तक भूचाल मचा दिया था. वहीं बिहार के कई जिलों के लोग निराश हुए. जिन्हें इस पुल के बनने का लंबे समय से इंतजार था. वहीं अलग-अलग विभाग इस पुल हादसे की जांच में जुट गए.

डॉल्फिन समेत अन्य जलचर के पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ सकता है गंभीर असर

ट्रिब्यूनल के सामने इस मामले को उठाते हुए इंजीनियर हेमंत कुमार ने दावा किया कि इस पुल हादसे के बाद जो मलबा गंगा में गिरा है उससे डॉल्फिन समेत अन्य जलचर के पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है. इंजीनियर हेमंत ने पत्र के माध्यम से यह दावा किया है कि पुल के पिलर संख्या 10 पर भारत का पहला चार मंजिला डॉल्फिन ऑब्जरवेशन सेंटर बनने वाला था, लेकिन इस हादसे की वजह से अब इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. साथ ही उन्होंने ट्रिब्यूनल को बताया है कि कंक्रीट संरचना का इतना बड़ा हिस्सा गंगा में लंबे समय तक पड़े रहने से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

ThakurShaktilochan Sandilya
ThakurShaktilochan Sandilya
डिजिटल मीडिया का पत्रकार. प्रभात खबर डिजिटल की टीम में बिहार से जुड़ी खबरों पर काम करता हूं. प्रभात खबर में सफर की शुरुआत 2020 में हुई. कंटेंट राइटिंग और रिपोर्टिंग दोनों क्षेत्र में अपनी सेवा देता हूं.

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