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प्रवासियों ने अपनी जगह संबंधियों का दे दिया खाता, पैसे देने के लिए उनके घर जा रहे हैं अधिकारी

कोरोना काल में बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों के खाते में रेल किराये के अलावा पांच सौ रुपये देने के लिए अब राज्य सरकार के अधिकारी उनके घर-घर जा रहे हैं.

सरकार ने यह लिया था निर्णय : राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि कोरेंटिन कैंपों में आये प्रवासी मजदूरों का निबंधन कराया जाये. निबंधन के दौरान नाम व पता के साथ ही बैंक खातों की पूरी जानकारी ली गयी थी. 15 जून के बाद जब कैंप बंद हुए, तो प्रवासी मजदूरों को रेल किराया और सरकार की ओर से घोषित अतिरिक्त 500 रुपये या कम- से -कम एक हजार रुपये देने की प्रक्रिया में तेजी लायी गयी.

15 लाख का ब्योरा : विभाग ने 15 लाख से अधिक श्रमिकों का पूरा ब्योरा आपदा संपूर्ति पोर्टल पर अपलोड किया. अपलोड करने के बाद श्रमिकों के खाते में पैसा भेजने का क्रम भी जारी रखा गया, लेकिन हालिया समीक्षा बैठक में यह पाया गया मजदूरों ने अपने नाम के अनुसार बैंक खाता की जानकारी नहीं दी है. जांच के दौरान यह बात सामने आयी कि जिन मजदूरों के पास खुद के नाम का बैंक खाता नहीं था, वह अपने किसी परिजन के नाम के बैंक खाते का विवरण भरकर फॉर्म में दे दिया . इस कारण जब आपदा पोर्टल सॉफ्टवेयर में नाम और बैंक खातों का विवरण अपलोड कर पैसा देने की कोशिश की जा रही है, तो वह मिस मैच होने लगा.

इसमें महिलाओं की भी संख्या पांच प्रतिशत

आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार अब तक छह लाख से अधिक बैंक खातों में पैसा भेज दिया गया है.विभाग की कोशिश है कि 10 दिनों में कम -से -कम पांच लाख खातों रेल किराया का भुगतान कर दिया जाये .वहीं, प्रवासी मजदूरों में लगभग पांच प्रतिशत महिलाएं भी हैं. इस कारण महिलाओं का भी अलग से खाता खोलने का सुझाव दिया जा रहा है.

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