संवाददाता,पटना अमात्य फाउंडेशन द्वारा चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान में आयोजित नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 के जरिये पटना रविवार को एक बार फिर साहित्य, संस्कृति और विचारों के विराट संगम का साक्षी बना. विश्व गुरु भारत का पुनर्निर्माण-प्राचीन विरासत से आधुनिक पाठ तक केंद्रीय थीम पर आधारित इस एक दिवसीय महोत्सव में देशभर के 100 से अधिक विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों ने प्रत्यक्ष व डिजिटल रूप से भाग लिया. समापन सत्र में नालंदा इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल 2026 की घोषणा की गयी, जिसका आयोजन 12–15 फरवरी 2026 को नालंदा विश्वविद्यालय में होगा. कार्यक्रम की शुरुआत ””””द वॉइस ऑफ नालंदा”””” नामक उद्घाटन सत्र से हुई. नालंदा इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल की क्यूरेटर और संस्कृति शोधकर्ता वैशाली सेता ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला. इसके बाद, हिमालय क्षेत्र के युवा कलाकार तथा भारत के पहले हैंडपैन प्लेयर, बाबा कुटानी ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से पूरे वातावरण को आध्यात्मिक शांति से भर दिया. तत्पश्चात, फेस्टिवल के थीम और लोगो का औपचारिक विमोचन किया गया. इस सत्र में, ऋत्विक उदयन (दिनकर जी के पोते और उनके साहित्यिक अभिलेखों के संरक्षक), सीआइएमपी के निदेशक प्रो राणा सिंह और लेखक रत्नेश्वर सिंह ने भाग लिया. संक्षिप्त पुस्तक प्रदर्शनी और नेटवर्किंग के बाद मिथक, मन और आधुनिकता विषयक तीसरा सत्र शुरू हुआ, जिसमें बतौर मुख्य वक्ता लोकप्रिय लेखिका अमी गणात्रा ने शिरकत की. वरिष्ठ पत्रकार पवन कुमार ने इसका संचालन किया. महोत्सव की अंतिम चर्चा ””””साहित्य में महिलाओं की दृष्टि”””” पर केंद्रित थी. वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी विकास वैभव द्वारा संचालित इस सत्र में शन्थेरी, माधवी कुंटे और लेखक रत्नेश्वर ने हिस्सा लिया. स्त्री-लेखकीय संवेदना, भावनात्मक गहराई, सांस्कृतिक दृष्टि और आधुनिक कहानी कहने में महिलाओं के योगदान पर सम्यक चर्चा हुई.
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