High Risk Pregnancy in Patna: सरकारी अस्पतालों में चल रही प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत पटना जिले की गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच में चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं. जिले के 442 स्वास्थ्य केंद्रों पर अगस्त में 14,867 गर्भवतियों की जांच हुई.
लगभग दस प्रतिशत महिलाएं High Risk Pregnancy (HRP) की श्रेणी में पाई गईं. इन महिलाओं में एनीमिया, हाई ब्लड प्रेशर और प्रसव संबंधी जटिलताओं के मामले सबसे ज्यादा मिले हैं.
बिहार में हर दस में से एक गर्भवती महिला उच्च जोखिम वाली श्रेणी में
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, बिहार में 15-49 आयु वर्ग की गर्भवती महिलाओं में से करीब 17 फीसदी हाई रिस्क प्रेगनेंसी का सामना करती हैं. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में हर साल करीब 2.5 लाख महिलाएं गर्भधारण करती हैं, जिनमें से करीब 20 फीसदी हाई रिस्क प्रेगनेंसी का सामना करती हैं.
यह आंकड़ा बताता है कि राज्य में करीब 50,000 महिलाएं हर साल गर्भावस्था के दौरान उच्च जोखिम में रहती हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार से इसमें कमी लाई जा सकती है. पटना एम्स की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ इंदिरा प्रसाद कहती हैं-हाई रिस्क प्रेगनेंसी के मामलों में नियमित जांच और देखभाल अत्यंत आवश्यक है.
सबसे अधिक एनीमिया व हाईबीपी के केस
सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह के अनुसार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर हर महीने लगभग 15 हजार प्रसव पूर्व जांच की जाती है. इनमें 60 प्रतिशत जांच ग्रामीण क्षेत्रों और 40 प्रतिशत जांच शहरी अस्पतालों में होती है. हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया है.
एनएमसीएच की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलू प्रसाद का कहना है कि 18 साल से कम और 35 साल से अधिक उम्र की गर्भवतियां अधिक जोखिम में रहती हैं. हीमोग्लोबिन की कमी, ब्लड प्रेशर और शुगर का अनियंत्रण प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरा बढ़ा देता है.
आशा कार्यकर्ता करेंगी निगरानी
गांवों में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की निगरानी आशा कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है. वे हर महीने इन महिलाओं की ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन और अन्य जांच कर रही हैं, ताकि समय रहते उपचार सुनिश्चित हो सके.
Also Read: Bihar Anganwadi: अब आंगनबाड़ी बनेगा मिनी स्कूल, बच्चों को मिलेगी ड्रेस और किताबें

