संवाददाता,पटना राज्य के अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिया है कि किसी भी दुर्घटना में घायल होने के बाद मरीजों को अस्पताल पहुंचाने वाले अनजान व्यक्ति से न तो रजिस्ट्रेशन फीस न ही प्रवेश शुल्क या इलाज का खर्च मांगा जायेगा. जख्मी व्यक्ति का इलाज करनेवाले चिकित्सक द्वारा इलाज में लापरवाही करने के बाद प्रोफेशनल मिसकंडक्ट मानी जायेगा और उस डॉक्टर के खिलाफ अविलंब अनुशासनिक कार्रवाई की जायेगी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के बाद राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने सभी सिविल सर्जनों, सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों व सभी प्राइवेट व चैरिटेबल अस्पतालों को यह निर्देश भेजा है. अस्पताल नोटिस बोर्ड पर करेंगे निर्देश का डिसप्ले निर्देश में कहा गया है कि सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के मुख्य द्वार पर इसका बोर्ड पर भी डिस्प्ले करना अनिवार्य है. इस नोटिस बोर्ड या चार्टर पर हिंदी और अंग्रेजी में अथवा स्थानीय भाषा में घायल व्यक्ति के त्वरित इलाज के लिए लानेवाले व्यक्ति से इलाज के नाम पर रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जाता है. साथ ही जख्मी व्यक्ति को लाने वाले व्यक्ति पावती रसीद की मांग करते हैं, तो यह रसीद उनको दिया जाना चाहिए. सभी अस्पताल अपने यहां के कर्मियों को प्रशिक्षण देंगे कि घायल व्यक्ति के अस्पताल आने के बाद उसका जल्द इलाज शुरू हो जाये. इसके अलावा यह भी निर्देश दिया गया है कि अस्पताल द्वारा घायल व्यक्ति के त्वरित इलाज के लिए एक इमरजेंसी कमेटी का गठन प्रमुख डॉक्टर की अध्यक्षता में की जाये. सिविल सर्जनों को निर्देश दिया गया है कि सड़क दुर्घटना से संबंधित सभी आंकड़े एचएमआइएस पोर्टल पर दर्ज किया जाएं और घायलों को लानेवाले (गुड सेमेरिटन) की सूची भी भेजी जाये.
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