बिहार-झारखंड में अपने आतंक को पसार चुका एक और दुर्दांत नक्सली पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. झारखंड के हजारीबाग जिले में CRPF, कोबरा 209 बटालियन और हजारीबाग पुलिस की टीम ने सोमवार को एक मुठभेड़ में उसका खात्मा किया. झारखंड में इस साल हुए दो मुठभेड़ में दो ऐसे हार्डकोर नक्सलियों का अंत हुआ है जिसका आतंक रूह कंपा देने वाला रहा. प्रवेश दा एकबार अपनी प्रेमिका को लेकर भी सुर्खियों में रहा. जब नक्सल संगठन में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का मामला सामने आया था.
प्रवेश दा ने दिया था प्रेमिका के पत्र का जवाब
हार्डकोर नक्सली प्रवेश दा की प्रेमिका रेणुका कोड़ा भी नक्सली रही. प्रवेश दा ने रेणुका को चार पन्नों का पत्र लिखा था. इस पत्र ने पूरे संगठन में भूचाल ला दिया था. दरअसल, रेणुका के एक पत्र के जवाब में दादा यानी प्रवेश दा ने चार पन्नों का यह पत्र लिखा था. इसमें महिला नक्सली रेणुका उर्फ रेणु ने टॉर्चर का जो मुद्दा उठाया था उसका जवाब मौजूद था.
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महिला नक्सलियों की समस्याएं लायी गयी थी सामने
दरअसल, रेणुका कोड़ा ने यह सवाल उठाया था कि माओवादी संगठन में महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है. इतना ही नहीं, महिलाओं की रोजाना की मुश्किलों की तरफ भी ध्यान नहीं दिया जाता. जब उसे पीरियड्स आते हैं, तो सैनिटरी नैपकिन भी उपलब्ध नहीं होती. एक ही वर्दी में उन्हें कई-कई दिन गुजारने पड़ते हैं. बंदूकों के अलावा वजनी सामान भी महिला नक्सलियों के सिर पर रख दिये जाते हैं. इसका विरोध बीच-बीच में महिला कैडर से होता रहा है.

रेणुका ने की थी संगठन में शिकायत
इसके जवाब में प्रवेश ने भी चार पन्नों का पत्र लिखकर रेणुका को जवाब भेजा था. हालांकि इस पत्र की सत्यता की पुष्टि प्रभात खबर नहीं करता है. पत्र की बात को यदि मानें तो रेणुका ने अपने से ऊपर की कमेटी के पदाधिकारियों को पत्र लिख कर दुखड़ा सुनाया था. इस पत्र के बाद करम नाम के किसी नक्सली कमांडर ने पार्टी के ऊपरी स्तर के लोगों की टीम बना कर रेणुका के मामले की जांच का भरोसा भी दिया था.
प्रवेश दा ने दिया था जांच कराने का भरोसा
चार पन्नों का यह पत्र दादा उपनाम वाले किसी नक्सली ने रेणुका को लिखा था. सूत्रों की मानें तो संगठन में प्रवेश को ही दादा कहा जाता था. पत्र में यह आश्वासन दिया गया है कि जो भी आरोप रेणुका द्वारा लगाये गये हैं, नक्सल संगठन के द्वारा कमेटी बनाकर उसकी जांच करायी जायेगी.
पत्र में नक्सल संगठन में महिलाओं के साथ शोषण का भी जिक्र
पत्र के दूसरे पेज पर यह लिखा हुआ है- नक्सल संगठन में भी पुरुषों का बोलबाला है. थोड़ी गहराई से नजर डालने पर महिला कामरेड के साथ होने वाली परेशानियां नजर आ जायेंगी. संतरी ड्यूटी पर जब महिला कामरेड ड्यूटी में रहती हैं, तो उस समय वहां पर कई बहाने से जाने, चलते-फिरते बैठते समय महिला कामरेड के शरीर से शरीर सटाना, महिला कामरेड के पिट्ठू या थैला में हाथ डालकर सामान आदि देखने, रात में सोते समय महिला कामरेड को ड्यूटी में उठाने के नाम पर बेवजह शरीर पर टॉर्च का फोकस मारने, अपने पसंद की महिला कामरेड को अलग से कुछ खरीद कर देने, लगातार प्रेम पत्र भेजते रहने, रात में किसी कारणवश मौका मिलने पर गलत ढंग से पेश आने की कोशिश करने, शादी की बात बोलकर शादी के पहले ही शारीरिक संबंध बना लेने, एक पार्टनर रहते हुए भी दूसरे के साथ गलत संबंध बनाने इत्यादि सब कुछ ही पुरुष सत्ता की अभिव्यक्ति है.
रेणुका की गिरफ्तारी के बाद बाहर आया था पत्र
लेटर में नक्सली दादा ने रेणुका को साहस के साथ महिला नक्सली के समस्याओं को लेकर पत्र लिखने के लिए बधाई भी दी है और साथ ही यह भी कहा है कि संगठन में भी इसके लिए लगातार संघर्ष करते रहने की आवश्यकता है. यह पत्र रेणुका की गिरफ्तारी के बाद उसके पास से बरामद किया गया था.

