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पीयू और एलएनएमयू को मिली 100-100 करोड़ की ग्रांट पर वापसी का संकट

बिहार के दो विश्वविद्यालयों पटना विश्वविद्यालय (पीयू) एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) में अनुसंधान को बढ़ावा देने व उसकी आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए 100-100 करोड़ स्वीकृत किये हैं.

-मार्च 2026 में रिसर्च प्रोजेक्ट पूरी नहीं तो केंद्र लेगा राशि वापस – मेरु प्रोजेक्ट में शामिल होने के 11 माह बाद अभी ठीक से टेंडर प्रक्रिया भी नहीं हो पायी पूरी संवाददाता,पटना बिहार के दो विश्वविद्यालयों पटना विश्वविद्यालय (पीयू) एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) में अनुसंधान को बढ़ावा देने व उसकी आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने मेरु (मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटीज) प्रोजेक्ट के तहत 100-100 करोड़ स्वीकृत किये हैं. राशि स्वीकृत हुए करीब एक साल पूरा होने को हुआ अब तक दोनों विश्वविद्यालयों में इस प्रोजेक्ट के कार्य अभी धरातल पर नहीं उतर सके हैं. अधिकतर का केवल कागजी वर्क ही हो पाया है. जबकि इन प्रोजेक्ट के पूरे होने की डेटलाइन मार्च 2026 है. जानकारी के अनुसार अगर अगले तीन माह में रिसर्च की राशि ये विश्वविद्यालय खर्च नहीं कर सके तो केंद्र अपनी राशि वापस लेकर किसी दूसरे राज्य के विश्वविद्यालय को बांट देगा. इसके संकेत उसने दे भी दिये हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रोजेक्ट शुरू करने के दौरान दोनों विश्वविद्यालयों को 72 करोड़ रुपये खर्च करने की तत्काल अनुमति दी थी. कहा कि इसका 60 फीसदी खर्च करेंगे तो शेष राशि स्वत: इस खाते में जायेगी. इतनी खर्च की बात छोड़ये, तब ये विश्वविद्यालय प्रोजेक्ट की ठीक ढंग से कागजी प्रक्रिया भी पूरी नहीं कर सके हैं. लिहाजा नाराज होकर केंद्र ने 72 करोड़ की मदर सेंशन(मूल स्वीकृति) घटाकर केवल चार करोड़ कर दी है. पटना विश्वविद्यालय— जानकारी के अनुसार पटना विश्वविद्यालय को 100 करोड़ रुपये खर्च करने थे. इसमें जी प्लस 7 मल्टीपरपज बिल्डिंग, इन्डोर स्पोर्ट्स कॉप्लेक्स और ग्रीन और ग्लास हाउस लैब प्रस्तावित था. इन सभी पर करीब 58-60 करोड़ रुपये खर्च होना था.अनुसंधान से संबंधित उपकरण खरीदने के लिए 30-32 करोड़ का प्रावधान किया गया. इनमें कुछ नहीं हुआ. इसके अभी टेंडर हुए हैं या प्रक्रिया में मैं हैं. सिर्फ पुरानी बिल्डिंग की मरम्मत के ही कुछ काम किये जा रहे हैं. ये काम करीब 10 करोड़ के हैं. एलएनएमयू कुछ पेड़ तक नहीं हटवा सका- – इस विश्वविद्यालय के लिए भी 100 करोड़ स्वीकृत किये गये. एकेडमिक भवन के 52 करोड़ स्वीकृत किये गये. इसके अलावा 30-35 करोड़ की नयी बिल्डिंग बनायी जानी थी. यह काम अभी तक इसलिए नहीं हो सका कि विश्वविद्यालय और निर्माण एजेंसी अभी तक निर्माण स्थल पर लगे कुछ पेड़ तक नहीं हटा सके. या काटने की अनुमति ले सके. करीब 16-17 करोड़ के रिसर्च उपकरणों की खरीदी के केवल टेंडर हो सके हैं. इन दोनों विश्वविद्यालयों के निर्माण कार्य की जवाबदेही बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बीएसइआइडीसी ) को दी गयी है.

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