संवाददाता, पटना आइसीएआर पटना की ओर से स्थापना दिवस समारोह के दूसरे दिन शुक्रवार को धान की किस्म ‘स्वर्ण पूर्वी धान-4’ को जारी किया गया. भारत के पूर्वी क्षेत्र के सीमित जल क्षेत्रों के लिए विकसित उच्च उपज देने वाली यह धान होगी. सूखे की स्थिति में इस किस्म से धान की खेती हो सकेगी. इसके लिए काफी कम पानी और श्रम की जरूरत होगी. यह एरोबिक चावल की किस्म है. इस दौरान उन्नत कृषि-विकसित भारत: पूर्वी भारत के लिए तैयारी थीम पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पद्म भूषण डॉ आरएस परोदा ने कहा कि आइसीएआर, पटना की नींव तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री (अब बिहार के मुख्यमंत्री) नीतीश कुमार ने रखी थी. भारत में दूसरी हरित क्रांति के लिए पारिस्थितिकी-विशिष्ट क्षेत्रों में कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने महिला केंद्रित सूक्ष्म व नैनो होम्सटैड खेती के मॉडल का उद्घाटन किया. 25 वर्षों के लिए स्पष्ट दृष्टि जरूरी : संस्थान के निदेशक डॉ अनुप दास ने कहा कि अगले 25 वर्षों के लिए स्पष्ट दृष्टि और मिशन तैयार करना आवश्यक है. एनआइबीएसएम रायपुर के पूर्व निदेशक डॉ पीके घोष ने कहा कि भविष्य में जीन प्रबंधन, वर्षा जल प्रबंधन टिकाऊ कृषि के आवश्यक स्तंभ होंगे. खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव डॉ एन सरवण कुमार ने कहा कि कृषि विश्व स्तर पर सबसे जोखिम भरा पेशा है. नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों के बीच मजबूत सहयोग से टिकाऊ समाधान विकसित करने की दरकार है. कार्यक्रम को आइआइएबी रांची के पूर्व निदेशक डॉ ए पटनायक, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डॉ इंद्रजीत सिंह, संजय गांधी डेयरी प्रौद्योगिकी संस्थान के अधिष्ठाता डॉ उमेश सिंह ने भी संबोधित किया. धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ धीरज कुमार सिंह ने किया. इस दौरान कई पुस्तकों का विमोचन किया गया.
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