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Exclusive: ‘उड़ता पंजाब’ बन रहा बिहार, सूखे नशे की गिरफ्त में युवा, चुनाव में क्यों नहीं बना मुद्दा?

Exclusive: अब आप ‘उड़ता पंजाब’ नहीं, बल्कि उड़ता बिहार की कहानी पढ़ेंगे. क्योंकि सूखे नशे के गिरफ्त में आ रहे बच्चों को लेकर भागलपुर, बांका, जमुई, लखीसराय, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया के लोग चिंतित है.

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Exclusive : बिहार में शराबबंदी है. लोगों को नशे की गिरफ्त में जाने से बचाने और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने वर्ष 2016 में यह पहल की थी. सरकार ने राजस्व के भारी नुकसान की चिंता किये बगैर समाज सुधार की दिशा में यह कदम उठाया था. सरकार का यही कदम अब बिहार के कम से कम 13 जिलों के लिए ‘आत्मघाती’ साबित होने लगा है. यह हम नहीं कह रहे, उन 13 जिलों के लोग कह रहे हैं, जिनके बच्चे सूखे नशे की चपेट में आकर दिन-ब-दिन मौत के करीब जा रहे हैं. यह किसी त्रासदी से कम नहीं है. बावजूद इसके, किसी भी राजनीतिक दल के लिए यह चुनावी मुद्दा नहीं है. भ्रष्टाचार, परिवारवाद, आतंकवाद, घुसपैठ, सड़क, बिजली, पानी पर तो खूब बात हो रही है, लेकिन बिहार के सिर पर जो नया अभिशाप मंडरा रहा है, उस पर किसी का ध्यान नहीं है. किसी दल के एजेंडे में यह समस्या नहीं है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले पटना पुलिस ने 2 लोगों को किया गिरफ्तार

शराबबंदी का सख्ती से पालन कराने और नशे के खिलाफ सरकारी अधिकारी लगातार छापेमारी करते रहते हैं. इसी अभियान के तहत बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले पटना पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से 760 लीटर प्रतिबंधित कफ सिरप ओनेरेक्स और कोरकफ-सी जब्त किया है. एक बस (BR06PE 7451) के चालक और कंडक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है. इनके नाम विजय पांडेय पिता सकलदेव पांडेय, ग्राम चकअलदाद थाना+जिला वैशाली और शंकर झा, पिता बलदेव झा, गांव मलमल थाना कलुवाही, जिला मधुबनी हैं. 76 कार्टून में ये प्रतिबंधित कफ सिरप रखे थे.

बिहार भी जल्द ही ‘उड़ता पंजाब’ की तर्ज पर ‘उड़ता बिहार’ बन जायेगा

ये कफ सिरप बिहार की नयी नस्ल को बर्बाद कर रहे हैं. प्रभात खबर इलेक्शन एक्सप्रेस लेकर जब मैं लोगों की राजनीतिक नब्ज टटोलने के लिए गांवों की खाक छान रहा था, उसी समय पता चला कि बिहार में कम से कम 13 ऐसे जिले हैं, जहां युवा ‘सूखे नशे’ के आदी हो चुके हैं. यहां के स्थानीय लोगों के साथ-साथ पुलिस अधिकारी भी कहते हैं कि शराबबंदी की वजह से ऐसा लगता है कि बिहार भी जल्द ही ‘उड़ता पंजाब’ की तर्ज पर ‘उड़ता बिहार’ बन जायेगा. यानी लोग नशे में डूब जायेंगे. खासकर सीमांचल में. कुछ ही समय में लखपति और करोड़पति बनने का सपना देख रहे युवा ही अपने जैसे अन्य युवाओं को इस नशे की दलदल में धकेलकर मोटी कमाई कर रहे हैं.

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सीमांचल के 13 जिले (लाल बिंदु वाले) में डिप्रेशन में जी रहे हजारों युवा. ग्राफिक्स : अरिंदम

सीमांचल में 200-300 रुपए में हेरोइन, अफीम, स्मैक, ब्राउन शुगर, कोडिन, नशे के इंजेक्शन और गोलियां भी उपलब्ध

सीमांचल में 200-300 रुपए में हेरोइन, अफीम, स्मैक, ब्राउन शुगर, कोडिन, नशे के इंजेक्शन और गोलियां उपलब्ध हैं. इसका सेवन किसी गरीब परिवार के बच्चे नहीं करते. धनी-मनी परिवार के युवा इसे खरीद रहे हैं. उसका सेवन कर रहे हैं और अपना जीवन बर्बादी की ओर धकेल रहे हैं. प्रवासी श्रमिकों के बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.

भागलपुर, कटिहार, जमुई समेत सीमांचल के 13 जिलों के लोग चिंतित

अररिया जिले में एक महिला मिली. उसने बताया कि गार्जियन को जब इस बात की जानकारी होती है कि उसका बच्चा बच्चे सूखे नशे का सेवन कर रहा है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. वे चाहकर भी अपने बच्चे को बचा नहीं पाते. भागलपुर, बांका, जमुई, लखीसराय, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया के लोग इस बात से चिंतित हैं कि अपने बच्चों को इस बुराई से कैसे बचायें.

Also Read: Bihar Police: अब नशे के कारोबार पर कसेगा शिकंजा, ADG कुंदन कृष्णन बोले- डीजीपी को लगातार मिल रही थी शिकायतें

खुलेआम बिक रहा नशे का सामान, युवा पीढ़ी हो रही बर्बाद

किशनगंज में एक महिला पुलिस अफसर से हमारी मुलाकात हुई. मैंने उनसे इस संबंध में पूछा, तो उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है. शराब के लिए तय दुकानें थीं. सूखा नशा स्टेशनरी की दुकानों में बिक रहा है. इस पर रोक भी नहीं लगा सकते. सनफिक्स की बिक्री कैसे रोकी जा सकती है. बच्चे इसे खरीदकर पॉलिथीन या रुमाल में डालकर सूंघते हैं. युवा ही नहीं, शहर की सड़कों, चौराहों, नहर किनारे और गांवों में छोटे-छोटे बच्चे इसके आदी होते जा रहे हैं. दिन-प्रतिदिन ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ रही है.

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इंजेक्शन, कफ सिरप और अन्य नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं युवा. ग्राफिक्स : अरिंदम

किशनगंज स्थित रेलवे स्टेशन के पास फ्लाईओवर के नीचे महिलाएं करती हैं सप्लाई

ग्रामीणों और महिला पुलिस अधिकारी की बात सुनकर नशे की गिरफ्त में आ चुके ऐसे बच्चों से मिलने की इच्छा हुई. मैं किशनगंज के रेलवे स्टेशन के पास फ्लाईओवर के नीचे रेल पटरी के पास पहुंचा. यहां देखा कि बड़ी संख्या में युवक बैठे थे. 4-5 महिलाएं भी थीं, जो नशे का कारोबार करतीं थीं. या कहें कि नशे के सामान की सप्लाई करती थीं. इधर-उधर झाड़ियों में नजर गयी, तो जहां-तहां कोरेक्स सिरप की हजारों शीशी फेंकी गयी थी. सैकड़ों शीशियां रेल पटरी पर भी पड़ी मिलीं. वहां बैठे युवाओं से जब पूछा, तो उन्होंने कहा कि उन्हें हेरोइन, अफीम, स्मैक, ब्राउन शुगर, कोडिन, नशे के इंजेक्शन, नशे की गोली और सनफिक्स आसानी से मिल जाती है.

कोरेक्स सिरप-केमिकल्स और लोशन भी पी रहे युवा

नाक बहने, छींक आने और गले में खरास के इलाज के लिए कोरेक्स सिरप का इस्तेमाल होता है. बिहार में युवा इसका इस्तेमाल नशे के लिए करते हैं. पंचर बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स और सुलेशन का भी नशे के रूप में दुरुपयोग हो रहा है. इसके आदी हो चुके बच्चों ने बताया कि अगर उन्हें यह नहीं मिले, तो बेचैनी होने लगती है. पूरे शरीर में दर्द होने लगता है.

शराब की लत ने लोगों को अफीम, स्मैक और कोडिनयुक्त सीरप की ओर धकेल दिया

अररिया के लोगों ने प्रभात खबर की टीम को बताया कि बिहार में शराब की धर-पकड़ से बचने के लिए अब नशे की लत ने लोगों को अफीम, स्मैक और कोडिनयुक्त सीरप की ओर धकेल दिया है. कुछ लोग दर्द निवारक कैप्सूल को कोरेक्स के साथ मिलाकर लेते हैं. यह धीमा जहर बिहार के युवाओं को कई तरह से तबाह कर रहा है. कोरेक्स और स्मैक के शौकीन युवा इन दिनों सुबह-शाम चाय-पान की गुमटियों में जमे रहते हैं. शराबबंदी से पूर्व सिर्फ दवा की दुकान में बिकने वाला कोरेक्स अब चाय-पान की गुमटियों के साथ-साथ किराना दुकान तक में बिकने लगे हैं. पहले शहर व कस्बों तक उपलब्ध रहने वाला कोरेक्स, स्मैक अब गांव-देहात में खेतों की पगडंडियों तक पहुंच गया है. जहां नजर डालें वहीं खाली बोतलों के ढेर मिल रहे हैं.

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नशे की गिरफ्त में बिहार के युवा. ग्राफिक्स : अरिंदम

क्या है सूखा नशा?

सूखा नशा उसे कहते हैं, जिसे पी नहीं सकते. इसे सूंघकर, चबाकर या जलाकर लेते हैं. यह पाउडर, पत्ती या गैस जैसी चीजों से बनते हैं. सूखे नशे की श्रेणी में सिगरेट, गांजा, तंबाकू, हेरोइन, अफीम, स्मैक, ब्राउन शुगर और कोडिन जैसी चीजें आतीं हैं. यह नशा सस्ता है, आसानी से उपलब्ध हो जाता है, लेकिन है बेहद खतरनाक. सूखा नशा करने से मुंह, गले और फेफड़ों के कैंसर, अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो जातीं हैं. इन पदार्थों के सेवन की एक बार लत लग जाये, तो इससे दूर जाना मुश्किल हो जाता है. जब युवा सूखे नशे के दलदल में फंस जाते हैं, तो तरह-तरह के अपराध करने लग जाते हैं.

7 माह के कार्यकाल में 22 लोगों को किया था गिरफ्तार

पटना में प्रतिबंधित कफ सिरप की बरामदगी बताती है कि कफ सिरप को नशे के सामान के रूप में बेचने वाले रैकेट पूरे राज्य में फैल चुके हैं. शराब का विकल्प बन चुके प्रतिबंधित कफ सिरप के खिलाफ बिहार में ड्रग्स डिपार्टमेंट ‘ऑपरेशन एनडीपीएस’ चलाकर तस्करों को गिरफ्तार करता है. कफ सिरप जब्त करता है. बावजूद इसके कफ सिरप की सप्लाई धड़ल्ले से जारी है. वर्तमान में शिवहर में कार्यरत सहायक औषधि नियंत्रक डॉ सच्चिदानंद विक्रम कहते हैं कि पटना में जब वह तैनात थे, तो महज 7 महीने के दौरान 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. 7 लोगों की गिरफ्तारी एक दिन में हुई थी. उनके कार्यकाल में 1.5 करोड़ रुपए की प्रतिबंधित दवाएं जब्त भी की गयीं थीं.

नशे के खिलाफ बिहार पुलिस बनाएगी अलग से दो यूनिट

बिहार पुलिस नशे के खिलाफ अलग से दो यूनिट बनाने जा रही है. केंद्र सरकार के पास इसके लिए जो प्रस्ताव भेजा गया था, उसकी मंजूरी मिल गई है. इसकी जानकारी जून महीने में ही एडीजी मुख्यालय कुंदन कृष्णन ने दी थी. एडीजी मुख्यालय कुंदन कृष्णन ने कहा है कि नशीले पदार्थों की खरीद बिक्री और खपत बढ़ी है, इसे रोकने के लिए दूसरे राज्यों के जैसे नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के अनुरूप बिहार में भी स्टेट एंटी नारकोटिक कम प्रॉहिबिटेशन को भी मंजूरी मिल गई है. नशीले पदार्थ के खिलाफ लगातार कदम उठाया जा रहा है. बेचने वाले और सप्लायर के चेन को तोड़ा जा रहा है.

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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