Durga Puja 2025: यह मंदिर लगभग 108 सालों से पूजा-अर्चना का स्थान है. यहां घी और तेल से जलने वाला अखंड दीपक लगातार जलता आ रहा है, जो मंदिर की विशेष पहचान बन चुका है. भक्तों का मानना है कि यहां आने से उनकी मनोकामनाए पूरी होती हैं. नवरात्र के दिनों में मंदिर परिसर पूरी तरह सज जाता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करने पहुंचते हैं. मंदिर का वातावरण भक्ति, श्रद्धा और शांति से भर जाता है. भक्त मां दुर्गा से परिवार की सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि लंबे समय से चली आ रही परंपरा और विश्वास का केंद्र भी है. यहां आने वाले श्रद्धालु मां दुर्गा की कृपा से अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करते हैं.
हर मंगलवार को उमड़ती है भीड़
मंदिर में हर दिन तीनों पहर मां की पूजा और आरती होती है. भक्त हल्दी, लाल फूल और सिंदूर अर्पित कर अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना करते हैं. नवरात्र के दौरान सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन यहां पूजा करने वालों की भारी भीड़ उमड़ती है. इसके अलावा हर मंगलवार को यहां खूब भीड़ होती है.
कामाख्या मंदिर से लाई गई थी ज्योत
यह मंदिर पटना का पहला ऐसा मंदिर है, जहां तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार मां की सेवा कर रहा है. बताया जाता है की डॉ. विश्वनाथ तिवारी ने शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर से ज्योत लाकर यहां अखंड दीप जलाया था. तब से घी और सरसों के तेल से जलते दो अखंड दीप यहां लगातार जल रहे हैं. बीते 30 साल से 51 लोगों के अखंड दीप भी मंदिर में जल रहा हैं.
ऐसे पहुंचे मंदिर
मंदिर तक पहुंचने के लिए गांधी मैदान या दानापुर से सड़क मार्ग होते हुए गोलघर उतर कर आसानी से पहुंचा जा सकता है. कहा जाता है इस मंदिर से कई लोगों की मन्नतें पूरी हुई हैं.

