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गर्मी से भूजल में गिरावट, बोरिंग हो रही फेल

बिहार में गर्मी की तपिश अचानक से बढ़ गयी है. जिसका असर भूजल पर पड़ा है और पटना, नवादा , मुजफ्फरपुर, गया, जहानाबाद, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, सीवान, भोजपुर, बक्सर, बेगूसराय व औरंगाबाद सहित कई जिलों में भूजल में गिरावट की रिपोर्ट दर्ज होने लगी है.

संवाददाता, पटना बिहार में गर्मी की तपिश अचानक से बढ़ गयी है. जिसका असर भूजल पर पड़ा है और पटना, नवादा , मुजफ्फरपुर, गया, जहानाबाद, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, सीवान, भोजपुर, बक्सर, बेगूसराय व औरंगाबाद सहित कई जिलों में भूजल में गिरावट की रिपोर्ट दर्ज होने लगी है. हालात ऐसे हैं कि मार्च और अप्रैल में राज्यभर में 70 से अधिक मोटर जल गये हैं. मई माह का आंकड़ा जुटाया जा रहा है. वहीं, 160 से अधिक चापाकलों से पानी छोड़ने की शिकायत दर्ज हुई है. साथ ही, क्रिटिकल 270 पंचायतों में पानी संबंधित शिकायत बढ़ी है. पीएचइडी से मिली जानकारी के मुताबिक गर्मी का यही हाल रहा, तो मई की तरह ही जून में लोगों को टैंकर से पानी पहुंचाना पड़ेगा. अप्रैल में दो से आठ फुट तक भूजल में गिरावट हो गयी है. बोरबेल फेल होने में गया के 21 और नवादा के तीन वार्ड शामिल हैं. जहां बोरबेल फेल होने की शिकायत बढ़ती जा रही है.जहानाबाद सात, अरवल चार, नवादा पांच, आरा नौ, औरंगाबाद पांच, जमुई 10, बेगूसराय तीन, पटना 16 व अन्य जिलों से भी मोटर जलने और बोरिंग फेल होने की शिकायत अभी से आने लगी है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भोजपुर एक, मुजफ्फरपुर एक, नालंदा एक, पटना तीन, वैशाली दो, शेखपुरा एक, समस्तीपुर के एक ब्लॉक अति दोहन वाले क्षेत्र में घोषित किये गये हैं. यहां पर पानी की निकासी तेजी से हो रही है, लेकिन पानी वापस धरती में नहीं जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक यहां पर भूजल का स्तर सबसे पहले खत्म होगा जहानाबाद दो, मुजफ्फरपुर एक, नालंदा एक,पटना सदर एक, समस्तीपुर एक एवं वैशाली के दो ब्लॉक क्रटिकल जोन में हैं. जहां पर भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा है. वहीं, 46 ब्लॉक ऐसे भी हैं, जो सेमी क्रिटिकल जोन में शामिल हैं. केंद्र ने सभी राज्यों को 2024 में ही भेजा था एसओपी : सभी तरह के जल स्रोत की पहचान करना, पानी की आपूर्ति और मांग की तकनीकी रूप से रिपोर्ट तैयार बनायी जाये, बारिश का कितना पानी बह जाता है.गांव भूजल के मामले में किस जोन है, पानी की स्रोत की सुरक्षा करना शामिल होगा. वहीं, इसकी रिपोर्ट के आधार पर कितनी बोरिंग हर साल फेल हो रहे है और जल स्रोतों पर से अतिक्रमण हटाने व भूजल की नियमित निगरानी शामिल है.

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