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CM Women Employment Scheme: जीविका योजना के पहली किस्त के बाद गांव-शहर में मची होड़, 10 लाख नए आवेदन दर्ज

CM Women Employment Scheme: बिहार में महिलाओं के हाथों में आते ही 10,000 रुपये की पहली किस्त ने ऐसा असर डाला कि गांव से लेकर शहर तक “जीविका” समूह से जुड़ने की होड़ मच गई है. महज कुछ ही दिनों में लाखों महिलाएं आवेदन कर चुकी हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है.

CM Women Employment Scheme: मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत को लेकर जिस उत्साह की उम्मीद सरकार ने जताई थी, वह अब वास्तविकता में बदलती दिख रही है. ग्रामीण इलाकों से शुरू हुई जीविका योजना अब शहरों में भी उतनी ही तेजी से पैर पसार रही है.

पहली किस्त के रूप में 10,000 रुपये सीधे बैंक खाते में मिलने के बाद शहरी महिलाओं का रुझान हैरान करने वाला है. आंकड़े बताते हैं कि एक सप्ताह में ही 10 लाख से ज्यादा आवेदन आए हैं. यह तस्वीर बताती है कि महिलाओं के लिए यह योजना न सिर्फ राहत का साधन बनी है, बल्कि उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया भरोसा भी दे रही है.

गांव से शहर तक पहुंची जीविका की ताकत

शुरुआत में जीविका योजना को ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण का औजार माना गया था. समूह बनाकर महिलाएं बचत और लोन की प्रक्रिया से छोटे स्तर पर रोजगार और कारोबार शुरू करती थीं. धीरे-धीरे इसका असर पंचायत स्तर से ब्लॉक और जिले तक दिखने लगा. लेकिन अब जब मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत सीधा 10,000 रुपये की पहली किस्त दी जा रही है, तो शहरों की महिलाएं भी बड़ी संख्या में इससे जुड़ रही हैं.
शहरी क्षेत्रों में पहले से सक्रिय समूह अब रसोई संचालन, अस्पताल और सरकारी दफ्तरों में सेवाएं देने से आगे बढ़कर नए काम शुरू करने की तैयारी में हैं.

आवेदन का अंबार और बढ़ती उम्मीदें

महज सात दिनों में 4.5 लाख नए आवेदन और कुल मिलाकर 10 लाख से ज्यादा आवेदन इस बात का सबूत हैं कि महिलाएं इस योजना से जुड़ने को लेकर कितनी गंभीर हैं. अभी राज्य में 3.12 लाख स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं, लेकिन नए आवेदनों की बाढ़ से यह संख्या और बढ़ने वाली है. सरकार को उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में यह आंकड़ा और चौंकाने वाला होगा.

किस्तों में मिलेगी राशि, बनी है पूरी योजना, सरकार ने साफ किया है कि एक साथ सभी महिलाओं को राशि नहीं दी जाएगी. इसके लिए चरणबद्ध व्यवस्था बनाई गई है. 3 अक्टूबर को 25 लाख महिलाओं को पहली किस्त दी जाएगी. इसके बाद 6 और 17 अक्टूबर को भी धनराशि ट्रांसफर होगी. पूरी प्रक्रिया 26 दिसंबर तक पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है. इसका फायदा यह होगा कि न केवल सरकार को पारदर्शिता बनाए रखने का समय मिलेगा, बल्कि भौतिक सत्यापन और बैंक खातों की जांच भी ठीक ढंग से की जा सकेगी.

शहरी महिलाओं की बदलती तस्वीर

पहले यह माना जाता था कि जीविका समूह केवल ग्रामीण महिलाओं के लिए ही कारगर है. लेकिन ऑनलाइन आवेदन और बैंक ट्रांसफर की सुविधा ने शहरी महिलाओं को भी आकर्षित किया है. छोटे-छोटे कारोबार, घरेलू उद्योग और स्वरोजगार की दिशा में यह किस्त उनके लिए शुरुआती पूंजी की तरह काम करेगी. घर-घर जाकर जीविका कर्मचारी पहचान पत्र, बैंक पासबुक और अन्य कागजातों की जांच कर रहे हैं ताकि गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न रहे.

सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि अब तक 75 लाख महिलाओं को कुल 7,500 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं. इस पैसे से महिलाएं अपने परिवार की आय बढ़ा रही हैं, छोटे व्यापार कर रही हैं और धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ रही हैं.

त्योहारों और चुनावी मौसम के बीच बिहार की महिलाओं के लिए जीविका योजना उम्मीद और आत्मनिर्भरता का नया दरवाजा खोल रही है. गांव हो या शहर, महिलाएं अब केवल समूह का हिस्सा बनने के लिए ही नहीं, बल्कि अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए भी इसमें शामिल हो रही हैं. 10,000 की पहली किस्त ने उन्हें यह विश्वास दिया है कि बदलाव की शुरुआत उनके हाथों से हो सकती है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर. लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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