-कोर्ट के आदेश से क्लैट रैंकिंग में बड़ा उलटफेर संभव, पांच प्रश्नों पर बदला निर्णयसंवाददाता, पटना
कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) 2025 को लेकर हाइकोर्ट के अहम फैसले के बाद रैंकिंग में बड़ा उलटफेर संभव है. दिल्ली हाइकोर्ट ने परीक्षा में पूछे गये पांच प्रश्नों को लेकर संशोधन और पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया है. इससे हजारों अभ्यर्थियों की रैंकिंग प्रभावित हो सकती है. पहले जो छात्र शीर्ष रैंक पर थे, वे नीचे खिसक सकते हैं और निचली रैंक वालों को ऊपरी पायदान मिल सकता है. हाइकोर्ट के निर्देश के बाद काउंसेलिंग प्रक्रिया को भी संशोधित किया जायेगा. जो छात्र पहले से ही काउंसेलिंग फॉर्म भर चुके हैं, उन्हें अब संशोधित मेरिट लिस्ट के आधार पर दोबारा काउंसेलिंग में भाग लेना होगा. लॉ यूनिवर्सिटीज में प्रवेश भी अब नयी चयन सूची के आधार पर होगा. गौरतलब है कि परीक्षा के बाद कई छात्रों और विशेषज्ञों ने कम-से-कम पांच प्रश्नों को या तो गलत या विवादास्पद बताया था. इन्हीं मुद्दों को आधार बनाकर कोर्ट में याचिका दायर की गयी, जिस पर डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए संशोधित उत्तर कुंजी के आधार पर पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया. क्लैट में गड़बड़ी और त्रुटियों के कारण विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर की गयी थीं. दिल्ली हाइकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की है और इसने विभिन्न उच्च न्यायालयों से इन याचिकाओं को दिल्ली हाइकोर्ट में स्थानांतरित किया गया था.कोर्ट ने दिये नये मूल्यांकन के निर्देश:
हाइकोर्ट के फैसले में परीक्षा के पांच विवादास्पद प्रश्नों को लेकर स्पष्ट आदेश दिये गये हैं. -प्रश्न 5: उत्तर में संशोधन किया गया है, अब मूल्यांकन संशोधित उत्तर के आधार पर होगा.-प्रश्न 77: प्रश्न को पूरी तरह हटा दिया गया है, इसका कोई प्रभाव अंक पर नहीं पड़ेगा.
-प्रश्न 88: उत्तर बदला गया है. इससे छात्रों को लाभ होगा. डबल बेंच ने सिंगल बेंच की टिप्पणी को खारिज करते हुए ओवरसाइट कमेटी की अंतिम उत्तर कुंजी को मान्य ठहराया.प्रश्न 115: उत्तर में संशोधन, लेकिन लाभ केवल उन्हीं छात्रों को मिलेगा जिन्होंने यह प्रश्न हल किया था
-प्रश्न 116: सेट बी, सी और डी से प्रश्न हटाया गया, इन सेट्स के छात्रों को एक अंक मिलेगा. सेट एक में कोई बदलाव नहीं किया गया है.छात्रों की जीत
क्लैट एक्सपर्ट और लॉ प्रेप ट्यूटोरियल के निदेशक अभिषेक गुंजन ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि कोर्ट का यह आदेश क्लैट की पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है और भविष्य की प्रवेश परीक्षाओं के लिए एक मजबूत संदेश देता है कि छात्रों के अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती. गौरतलब है कि परीक्षा के तुरंत बाद कई छात्रों और विशेषज्ञों ने पांच प्रश्नों को गलत या विवादास्पद बताते हुए आपत्ति दर्ज की थी. इन्हीं आपत्तियों को आधार बनाकर न्यायालय में याचिका दायर की गयी, जिसके बाद यह ऐतिहासिक फैसला आया. अब पूरा देश नयी संशोधित सूची का इंतजार कर रहा है, जो हजारों छात्रों के भविष्य की दिशा तय करेगी.
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