संवाददाता, पटना पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है. इसमें उन्होंने जाति गणना, आरक्षण, मंडल कमीशन और संविधान के संदर्भ में प्रधानमंत्री पर हमला बोला है. कहा है कि जाति गणना को लेकर 2021 में प्रधानमंत्री से सभी दल मिले थे. मेरे प्रस्ताव पर विधानसभा में इसे सर्वसम्मति से पास कराया गया था. तब यह मांग ठुकरा दी गयी थी. जब हम सरकार में आये, तो बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर जातीय सर्वे सर्वे कराया. इसके आलोक में आरक्षण का दायरा 75% तक बढ़ाया गया. इसको संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की मांग नहीं मानी गयी. 10 दिसंबर, 2023 को पटना में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री से भी इसकी मांग की गयी. भैंस व मंगलसूत्र जैसी शब्दावली पर उतरे पीएम पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा है कि पद की गरिमा का ख्याल न करते हुए प्रधानमंत्री ‘भैंस, मंगलसूत्र के रास्ते मुजरा’ तक की शब्दावली पर आ गये हैं. कहा है कि रेलवे, सेना और अन्य विभागों में आरक्षण खत्म कर दिया गया. प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की व्यवस्था की भी मांग की गयी. कहा कि पांच किलो राशन को मुफ्त कहा जा रहा है, जबकि हमारे देश के नागरिकों को प्रदत्त यह संवैधानिक अधिकार है. पूछा है कि प्रधानमंत्री गोलवलकर की ‘बंच ऑफ थॉट्स’ से कितने सहमत हैं. जेल भेजने की धमकी दे उड़ा रहे संविधान की धज्जियां तेजस्वी ने कहा कि गुजरात में मुस्लिम समुदाय की जातियों को भी आरक्षण मिलता है. इस कारण पीएम को भ्रम फैलाने की राजनीति से परहेज करना चाहिए. मुझे जेल भेजने की धमकी देकर मोदी संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं. कहा है कि हार के डर से मोदी अब चुनावी सभाओं में मुझे जेल भेजने की तारीख बता रहे हैं. पीएम की यह सार्वजनिक स्वीकारोक्ति है कि वे जांच एजेंसियों को अपना खिलौना समझते हैं.
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