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पंचायत चुनाव: धरी रह गई बायोमेट्रिक मशीन की तैयारी, इंटरनेट ने बिगाड़ा खेल, भौतिक सत्यापन के बिना डले वोट

बिहार पंचायत चुनाव 2021 में बोगस वोट को रोकने के लिए बायेमेट्रिक मशीन से भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है. दूसरे चरण के मतदान में पटना जिले में इंटरनेट की समस्या ने सारी तैयारी पर पानी फेर दिया.

पटना के पालीगंज प्रखंड में हो रहे पंचायत चुनाव के कारण कई इलाकों में इंटरनेट सही ढंग से काम नहीं कर रहा था. इसका नतीजा यह हुआ कि करीब चार मतदान केंद्रों पर मतदाताओं को बिना बायोमेट्रिक सत्यापन के ही मतदान करने की अनुमति दे दी गयी. क्योंकि इंटरनेट का इंतजार करने से मतदान में देरी हो सकती थी और हंगामा भी हो सकता था.

117 मतदान केंद्रों पर सर्वर धीमा

पालीगंज प्रखंड में चुनाव के लिए बनाये गये 334 मतदान केंद्रों में 221 मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के बायोमेट्रिक सत्यापन की व्यवस्था की गयी थी. जबकि 113 मतदान केंद्रों पर बायोमेट्रिक सत्यापन की व्यवस्था नहीं थी. लेकिन इन 221 मतदान केंद्रों में 117 मतदान केंद्रों पर भी इंटरनेट की गति सही नहीं होने के कारण सर्वर भी काफी धीमी हो गयी थी और लगातार कार्य नहीं हुआ. इसके कारण कई लोगों को भौतिक सत्यापन के बिना ही मतदान करा दिया गया.

इंटरनेट नहीं रहने के कारण धरी रह गई तैयारी

कुछ इसी तरह की समस्या की शिकायत मतदान केंद्र पर नियुक्त पदाधिकारियों ने जिला में बनाये गये नियंत्रण कक्ष में की. उन्होंने बताया कि इंटरनेट नहीं रहने के कारण मतदाताओं के बायोमेट्रिक मशीन के माध्यम से भौतिक सत्यापन का कार्य नहीं हो पा रहा है. इस पर जिला नियंत्रण कक्ष से वैसे मतदान केंद्र पर बिना बायोमेट्रिक सत्यापन के ही मतदान करने का आदेश दिया गया. इसके बाद वहां मतदान शुरू हुआ. यह समस्या पालीगंज प्रखंड के मंगला उत्तरी व दक्षिणी मतदान केंद्र संख्या 282, जरखा पूर्वी भाग मतदान केंद्र संख्या 314 में सामने आयी.

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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पहली बार बायोमेट्रिक विधि से मतदाताओं के भौतिक सत्यापन की व्यवस्था

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पहली बार बायोमेट्रिक विधि से मतदाताओं के भौतिक सत्यापन की व्यवस्था की गयी थी. इसके लिए हर मतदान केंद्र पर एक टैब व बायोमेट्रिक मशीन दी गयी थी, ताकि मतदान करने आये लोगों के फोटो, अंगूठे का निशान आदि को सुरक्षित कर डेटाबेस बना लिया जाये. इसके बाद अगर कोई बोगस मतदान करने के लिए आये तो उसे पकड़ा जा सके. क्योंकि अगर किसी भी मतदाता का भौतिक सत्यापन हो चुका है और उसकी सारी जानकारी की डेटाबेस बन चुकी है तो दोबारा मतदान करने पर तुरंत उसकी बोगस मतदाता के रूप में पहचान हो जायेगी.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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