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Bihar youth innovation: बिहार के दो होनहारों का कमाल: रोबोट ‘आर्सी’ और एआई में सुरक्षा खामी खोजकर दिखाया दम

Bihar youth innovation: संसाधन की कमी सपनों को नहीं रोक सकती, बशर्ते जुनून और जिज्ञासा साथ हो. बिहार के दो युवाओं ने यह साबित कर दिया है—एक ने ह्यूमैनॉइड रोबोट बना कर और दूसरे ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में खामी पकड़ कर.

Bihar youth innovation: बिहार के युवाओं ने एक बार फिर तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. पटना के रोहित रंजन ने जहां अपनी मेहनत और लगन से महिला ह्यूमैनॉइड रोबोट ‘आर्सी’ का निर्माण किया है, वहीं मुंगेर के जमालपुर के 16 वर्षीय वैभव ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है.

खास बात यह है कि दोनों उपलब्धियां बिहार की मिट्टी में जन्मे उस जुनून और जिज्ञासा का नतीजा हैं, जो सीमित साधनों के बावजूद बड़े सपनों को साकार करने की ताकत रखते हैं.

रोहित की ‘आर्सी’: बिहार में बना ह्यूमैनॉइड

पटना के रोबोटिक्स इंजीनियर रोहित रंजन ने महिला ह्यूमैनॉइड रोबोट ‘आर्सी’ को महज छह लाख रुपए की लागत में तैयार किया है. जबकि दुनिया के अन्य ह्यूमैनॉइड रोबोट्स की कीमत करोड़ों रुपये तक जाती है. खास बात यह है कि ‘आर्सी’ को पूरी तरह बिहार में डिजाइन और विकसित किया गया है.

‘आर्सी’ इंसानों की तरह बातचीत कर सकती है, चेहरों को पहचान सकती है और एक से अधिक भाषाओं में संवाद कर सकती है. यह न सिर्फ हिंदी और अंग्रेज़ी बल्कि भोजपुरी और मैथिली जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में भी लोगों से बात कर सकती है.

रोहित बताते हैं कि उनका सपना है कि भविष्य में हर स्कूल, अस्पताल और दफ्तर में इस तरह की तकनीक पहुंचे, ताकि लोग सीधे रोबोट से मदद ले सकें. उन्होंने कहा—
“अगर हमें बड़े शहरों जैसी सुविधाएं नहीं भी मिलतीं, तब भी जुनून और मेहनत के दम पर बिहार से विश्वस्तरीय तकनीक विकसित की जा सकती है.”

वैभव की उपलब्धि: बिना ट्रेनिंग के खोजी खामी

दूसरी ओर, मुंगेर के जमालपुर के 16 वर्षीय छात्र वैभव विज्ञ ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. वैभव ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दिग्गज कंपनी में एक गंभीर सुरक्षा खामी का पता लगाया और उसे सही तरीके से रिपोर्ट किया.

कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सैम ऑल्टमैन ने वैभव की ईमानदारी और जिज्ञासा की सराहना करते हुए उन्हें एक साल की ChatGPT Plus सदस्यता इनाम में दी. वैभव की इस खोज को लेकर टेक्नोलॉजी की दुनिया में उनकी चर्चा हो रही है.

महत्वपूर्ण यह है कि वैभव ने यह उपलब्धि बिना किसी औपचारिक साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण के हासिल की. उन्होंने सिर्फ आत्म-शिक्षा और लगातार सीखने की जिज्ञासा से यह करिश्मा कर दिखाया.

वैभव के पिता कौशल किशोर शरण और मां कृति आनंद का कहना है कि उन्हें बेटे की इस सफलता पर गर्व है. वे चाहते हैं कि बेटा आगे साइबर सुरक्षा और एआई रिसर्च में और बड़ी उपलब्धियां हासिल करे.

बिहार की नई पहचान

रोहित और वैभव की यह सफलता सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि बिहार के उस नए चेहरे की पहचान भी है, जो तकनीक और नवाचार की दुनिया में अपनी जगह बना रहा है. जहां एक ओर रोहित ने दिखाया कि सीमित संसाधनों में भी ह्यूमैनॉइड रोबोट तैयार किया जा सकता है, वहीं वैभव ने यह साबित किया कि जिज्ञासा और ईमानदारी से वैश्विक स्तर पर भी सम्मान पाया जा सकता है.

तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में यह उपलब्धियां बिहार के युवाओं को नई प्रेरणा दे रही हैं. यह संदेश भी दे रही हैं कि प्रतिभा किसी जगह की मोहताज नहीं होती.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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