22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar Politics: बिहार में लाल और हरे रंग के समीकरण से वोटरों को साधने में जुटा राजद-भाकपा माले

Bihar Politics: बिहार विधानसभा के चुनाव में एकबार फिर लाल और हरा रंग उफान पर है. इन दोनों रंगों के समीरकण से पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में लाल रंग वाले भाकपा माले को 12 सीटें मिल गयी थी. वहीं हरा रंग वाले राजद 75 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बन गयी थी. इस बार भी दोनों रंग एक दूसरे की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं.

Bihar Politics: भाकपा माले ने पिछली दफा 19 की जगह करीब दोगुनी 45 सीटों की चाह जतायी है. भाकपा माले का मानना है कि उसका स्ट्राइक रेट सबसे हिट रहा है. इससे जहां उसकी ताकत बढ़ी, वहीं उसके वोट की ताकत से राजद को भीह सीटों का इजाफा हुआ है. माले मगध, शाहाबाद, सारण प्रमंडल में पहले से मजबूत स्थिति में है. इसका असर पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में देखने को मिला है. माले का दावा है कि राजद ने ऐसी बहुत सीटें जीती है, जहां भाकपा-माले काफी मजबूत स्थिति में रही है. साथ ही , राजद के एमवाइ समीकरण में माले का दलित और इबीसी वोट का लाभ दोनों दलों को मिल रहा है.

इन इलाकों में उम्मीदवार उतारने में जुटी है पार्टी

भागलपुर, दरभंगा, मुंगेर और कोसी क्षेत्र में अबतक उनके लिए कमजोर सीटें रही है. जहां लगातार मेहनत के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है. 2025 चुनाव में इन सभी इलाकों में पार्टी ने दावा जताया है. इसके लिये पार्टी तैयारी में जुटी है. माले का मानना है कि इन इलाकों में राजद भी बढ़त बनाने में नाकाम ही रही है. ऐसे में अगर इन क्षेत्रों में माले को टिकट मिलेगा, तो वहां महागठबंधन बेहतर करेगा. पार्टी ने बदलो सरकार-बदलो बिहार यात्रा (18–27 जून) से शाहाबाद, मगध, सारण‑चंपारण, मुज़फ़्फरपुर‑दरभंगा जोन में आयोजित है. इसमें जनसंवाद, धरना‑प्रदर्शन के माध्यम से स्थानीय मुद्दों को उठाया जा रहा है.

ऐसे मजबूत होता गया माले

माले 1990 में आइपीएफ के नाम से चुनाव मैदान में आया था. इस चुनाव में उसने 82 उम्मीदवारों को उतारा था, जिनमें जीत सात को मिली. 1995 में माले ने 89 उम्मीदवार उतारे और छह सीटे जीती. 2000 में 107 पर उम्मीदवार और छह पर जीत हासिल हुई. 2005 के फरवरी में 109 उम्मीदवार दिये और सात पर जीत दर्ज की. 2005 के नवंबर में 85 में पांच सीटों पर जीत दर्ज किया. लेकिन ,2020 में जब महागठबंधन के साथ समझौता हुआ, तो माले को 19 सीटें मिली, जिसमें 12 सीटों पर जीत दर्ज हुई.

वामदल के समझौता से नहीं मिली सीटें, लेकिन बढ़ा वोट बैंक

माले ने 2010 में दूसरे वामदलों के साथ समझौता किया.इसके बाद उन्हें भले एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन उनका हर क्षेत्र में वोट बैंक बढ़ा. चुनाव आंकड़ों को देखे, तो 2010 के चुनाव में माले को 5,20,352 वोट, भाकपा को 4,91,630, एसयूसीआई को 11,621, एफबी को 6,936 और आरएसपी को 3045 वोट मिले थे.इसके बाद 2015 में एक बार फिर से वामपंथी दलों के बीच समझौते के तहत माले ने 99 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें तीन सीटों पर जीत हासिल हुई. आंकड़ों को देखे, तो माले 589852 वोट मिले.

भाकपा ने 98 उम्मीदवार उतारे एक पर भी जीत नहीं मिली और 516699 वोट मिले. माकपा ने 43 सीट पर चुनाव लड़ा और एक भी सीट नहीं जीती, लेकिन वोट 232149 हजार मिला. एसयूसीआइ को 10 सीटों पर चुनाव लड़ा एक पर भी जीत नहीं, एफबी को नौ सीटों पर चुनाव लड़ा एक भी सीट नहीं मिली. वहीं, 16 सीटों पर कांटेस्ट नहीं था. कुल 229 सीटों पर चुनाव में उम्मीदवारों को उतारा गया था.

Also Read: Bihar Politics: कांग्रेस के आइने में जातियों का अक्स, एक समावेशी नेतृत्व की तलाश

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel