Bihar politics बिहार में विधान सभा का चुनाव लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस साथ-साथ लड़ेगी. कांग्रेस आला कमान ने इसके संकेत दे दिए हैं. इसके साथ ही पिछले कई दिनों से कांग्रेस और आरजेडी के बीच अनबन की खबर पर भी विराम लग गया है. हालांकि, कांग्रेस की मंगलवार को हुई मीटिंग में कई नेताओं ने लालू प्रसाद के साथ चुनाव मैदान में जाने का विरोध किया था. लेकिन अन्तत: कांग्रेस आला कमान ने उनकी बात को दरकिनारा करते हुए आरजेडी के साथ चुनाव में लड़ने का फैसला लिया.
दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में हुई बिहार के कांग्रेस नेताओं के साथ आला कमान की बैठक में एमएलसी तो लालू के साथ चुनाव मैदान में उतरने का विरोध कर रहे थे. लेकिन, कांग्रेस के विधायक लालू से वगैर चुनाव मैदान में उतरने का साहस नहीं दिखा पाए. यही कारण था कि कांग्रेस आला कमान बिहार में कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया. कांग्रेस हाईकमान चाहता है कि महागठबंधन की सरकार बनने पर कांग्रेस दो डिप्टी सीएम बनाएगी. इनमें से एक कन्हैया कुमार होंगे और दूसरा डिप्टी सीएम मुस्लिम चेहरा होगा.
सीएम पद पर क्यों मौन ?
कांग्रेस के रणनीतिकार बिहार में अपने सर्वे के बाद यह फैसला लिया है. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि बिहार में कांग्रेस आक्रामक रणनीति के साथ लालू प्रसाद के साथ गठबंधन कर लिया है. कांग्रेस अपनी मीटिंग के बाद सीएम पद को लेकर पत्ते खोलने को तैयार नहीं है. कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने साफ कह दिया है कि घटक दलों के साथ बैठक के बाद ही सीएम फेस पर फैसला लिया जा सकेगा.
कांग्रेस प्रभारी का यह बयान के कई राजनीतिक मायने रखते हैं. कांग्रेस के पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस सीएम उम्मीदवार के एवज में बार्गेन करना चाह रही है.कांग्रेस सीएम की कुर्सी देकर दो दो डिप्टी सीएम पद चाहती है. कांग्रेस मानकर चल रही है कि विधानसभा चुनाव में ज्यादा बड़ा स्टेक आरजेडी का है.
राजेश राम के सहारे दलित वोटर पर नजर
कांग्रेस अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बिहार दलित और मुस्लिम को साधना चाह रही है. कांग्रेस ओबीसी राजनीति की धार भी मजबूत करने में जुट गई है. अल्पसंख्यकों को लेकर कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है. कांग्रेस का मानना है कि मुस्लिम समाज अब कांग्रेस की तरफ विश्वास से देख रहे है. जो कांग्रेस के साथ होगा, मुसलमान उसको बेझिझक वोट करने आगे आएंगे.
प्रशांत किशोर और पप्पू यादव को लेकर क्या कहा?
वहीं, कांग्रेस को अगर सम्मानजनक सीटें नहीं दी गईं तो कांग्रेस उन लोगों को साथ जोड़ सकती है जो लालू और नीतीश के विकल्प के लिए प्रदेश में हाथ-पैर मार रहे हैं. यही वजह है कि कांग्रेस प्रभारी से जब पीके और पप्पू यादव के बारे में पूछा गया तो अल्लावरू ने बीजेपी विरोधी ताकतों के साथ जाने से मना नहीं किया है. मतलब साफ है कि लालू से कांग्रेस की बात नहीं बनेगी तो कांग्रेस पीके और पप्पू यादव को साधकर बिहार के चुनाव में उतर सकती है.
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