Bihar News: नयी दिल्ली में चल रहे वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शनिवार का दिन भारत और खासकर बिहार के लिए ऐतिहासिक बन गया. जमुई जिले के इस्लाम नगर गांव के 25 वर्षीय शैलेश कुमार ने हाई जंप टी63/42 स्पर्धा में 1.91 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
यह सिर्फ भारत का पहला स्वर्ण नहीं था, बल्कि इस चैंपियनशिप का नया रिकॉर्ड भी था. उनकी इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें 75 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि और प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की.
बचपन की जंग, जिसने बनाया मजबूत
शैलेश का बचपन आम बच्चों जैसा नहीं था. दाहिने पैर में पोलियो ने उनके कदम रोक दिए थे. पिता शिवनंदन यादव किसान हैं और मां प्रतिमा देवी गृहणी. घर में संसाधन सीमित थे, लेकिन जिद और जुनून के सामने हालात भी हार मान गए. स्कूल के दिनों में वे सामान्य खिलाड़ियों के साथ खेलते थे. तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि यही लड़का एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश को स्वर्ण दिलाएगा. स्कूल के दिनों में वे सामान्य खिलाड़ियों के साथ खेलते थे. तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि यही लड़का एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश को स्वर्ण दिलाएगा.
शैलेश के जीवन का टर्निंग प्वाइंट 2016 का रियो पैरालिंपिक रहा. उन्होंने पहली बार जाना कि उनके जैसे खिलाड़ियों के लिए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएं होती हैं. तभी से उन्होंने पैरा हाई जंप की तैयारी शुरू की.उनके कोच रौनक मलिक बताते हैं कि शैलेश ने अभ्यास में कभी ढिलाई नहीं की. सुबह से शाम तक मैदान में पसीना बहाना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया. आज उनकी मेहनत ने ही भारत को गौरवान्वित किया है.
स्वर्ण के साथ नया रिकॉर्ड
वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के हाई जंप टी63/42 इवेंट में शैलेश ने 1.91 मीटर की ऊंचाई पार की. यह सिर्फ स्वर्ण पदक जीतने वाला प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इसने चैंपियनशिप का नया रिकॉर्ड भी कायम कर दिया. भारत के लिए यह पहला स्वर्ण है, इसलिए यह उपलब्धि और भी ऐतिहासिक बन गई है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस जीत पर कहा कि शैलेश की उपलब्धि न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है. उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर ऐलान किया कि राज्य सरकार उन्हें खेल पुरस्कार योजना के तहत 75 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित करेगी.
शैलेश सरकार की ‘मेडल लाओ-नौकरी पाओ’ योजना के तहत शैलेश पहले से ही समाज कल्याण विभाग में बाल विकास प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं.
बिहार के खेल परिदृश्य की बदलती तस्वीर
शैलेश की यह सफलता केवल व्यक्तिगत नहीं है. यह बिहार में खेलों के बदलते परिदृश्य और संभावनाओं की झलक भी है. कभी संसाधनों की कमी से जूझता यह राज्य अब खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रहा है. पुरस्कार राशि, नौकरी और प्रशिक्षण सुविधाओं ने खेल प्रतिभाओं को नई ऊर्जा दी है. शैलेश की जीत इसी बदलाव का प्रमाण है.
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