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Bihar News: चुनावी साल में मनरेगा कर्मियों की हुंकार, कहा—अब वेतन वृद्धि करे सरकार

Bihar News: हर दिन आठ घंटे काम, लेकिन मानदेय सिर्फ छह हजार—क्या यही है कुशल कर्मियों की कीमत?

Bihar News: बिहार में चुनावी साल के बीच कर्मचारियों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां अलग-अलग वर्गों को खुश करने में जुटे हैं, वहीं अब मनरेगा कर्मियों ने भी वेतन वृद्धि की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है.

रविवार को पूरे बिहार से करीब एक हजार बेयरफुट टेक्नीशियन (BFT) पटना के गांधी मैदान स्थित आईएमए हॉल में जुटे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. उनका कहना है कि आठ साल से मानदेय लगभग जस का तस है, जबकि जिम्मेदारियां बढ़ती चली गई हैं.

आंदोलन का स्वर और कर्मियों की पीड़ा

मनरेगा बेयरफुट टेक्नीशियन संघ के अध्यक्ष उमेश कुमार और सचिव बालजीत कुमार ने मंच से साफ कहा कि राज्य में 986 टेक्नीशियन कार्यरत हैं, लेकिन सिर्फ एक बार ही मानदेय बढ़ाया गया है. फिलहाल उन्हें महज 6000 रुपये मिलते हैं. विडंबना यह है कि ग्रामीण स्तर पर रोजगार सेवक का पद उनसे नीचे है, लेकिन उनका मानदेय बीएफटी से कहीं ज्यादा है. ऐसे में कर्मियों का आक्रोश बढ़ना स्वाभाविक है.

कर्मियों ने बताया कि रोज दफ्तर जाना पड़ता है और ड्यूटी आठ घंटे से भी ज्यादा करनी पड़ती है. बावजूद इसके, आज तक उनकी आवाज सरकार तक नहीं पहुंच सकी. पत्र लिखे गए, बार-बार विभाग से गुहार लगाई गई, लेकिन नतीजा सिफर रहा. अब उनके पास आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है.

सिर्फ कागज पर नहीं, जमीन पर काम

बीएफटी कर्मियों का कहना है कि मनरेगा योजना की रीढ़ वे ही हैं. प्रखंड स्तर पर योजनाओं की तकनीकी निगरानी से लेकर काम के सही क्रियान्वयन तक वे लगातार सक्रिय रहते हैं. कई प्रखंडों में तो दो-तीन टेक्नीशियन की भी कमी है, लेकिन फिर भी काम उनसे ही करवाया जाता है. इस मेहनत और जिम्मेदारी के बाद भी जब मानदेय महज 6000 रुपये रह जाता है, तो उनकी स्थिति असमानता की मिसाल बन जाती है.

नीतीश सरकार इस समय सामाजिक समीकरण और विकास योजनाओं के जरिए जनता का भरोसा जीतने में लगी है. ऐसे में कर्मचारियों के लगातार आंदोलनों से नाराज़गी का संदेश जनता तक जाना राजनीतिक रूप से भी भारी पड़ सकता है.

सरकार और कर्मियों के बीच टकराव की जमीन

मनरेगा कर्मियों का कहना है कि वे सरकार के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि सिर्फ अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनका तर्क है कि जब न्यूनतम कुशल मजदूरी भी प्रतिदिन उनके मानदेय से ज्यादा है, तो फिर उनके योगदान को कम क्यों आंका जा रहा है.

बीएफटी संघ ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही मानदेय वृद्धि की घोषणा नहीं की गई, तो वे चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेंगे. शुरुआत में पटना में प्रदर्शन हुआ है, लेकिन आने वाले दिनों में यह आंदोलन जिलों तक भी फैल सकता है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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