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Bihar News: बिहार में आज एक तरफ गांधी मैदान में गूंजेंगे जीत के जयकारे, दूसरी तरफ भितिहरवा गांधी आश्रम में रहेगा मौन

Bihar News: एक तरफ पटना का गांधी मैदान आज सत्ता के केंद्र में बदलने वाला है, तो दूसरी तरफ 250 किलोमीटर दूर पश्चिम चंपारण का गांधी आश्रम एक अलग तरह की राजनीति का मंच बन रहा है. सत्ता का शोर और मौन का संदेश… बिहार आज दो राजनीतिक प्रतीकों के टकराव का गवाह बनेगा.

Bihar News: 20 नवंबर को पटना में नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण होगा. सरकारी ताकत, राजनीतिक हस्तियों की मौजूदगी और सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था. गांधी मैदान आज पूरी तरह राजनीतिक शक्ति के प्रदर्शन का केंद्र बन गया है.
बिहार की राजनीति में खुद को “वैकल्पिक नेतृत्व” की तरह प्रस्तुत करने वाले प्रशांत किशोर (PK) पश्चिम चंपारण के भीतिहरवा गांधी आश्रम में 24 घंटे का मौन उपवास कर रहे हैं. यह वही स्थान है जहां 1917 में महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी. PK ने इस जगह को चुनकर स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वे सत्ता की चकाचौंध से दूर संघर्ष, नैतिकता और जनभागीदारी के रास्ते पर अपनी राजनीति खड़ी करना चाहते हैं.

हार के बाद भी PK के तेवर क्यों नहीं बदले

बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज का प्रदर्शन उम्मीद के विपरीत रहा. करीब 3.34% वोट शेयर मिलने के बाद भी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और 238 में से 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, फिर भी PK ने हार को अंत नहीं, बल्कि लड़ाई की शुरुआत बताया, प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने स्वीकार किया कि नतीजे उम्मीद से कमजोर हैं, लेकिन यह भी कहा कि 129 सीटों पर तीसरा और एक सीट पर दूसरा स्थान मिलना इस बात का प्रमाण है कि “लड़ाई खत्म नहीं हुई है.”

गांधी मैदान बनाम गांधी आश्रम, दो राजनीतिक संदेश आमने-सामने

पटना के गांधी मैदान में आज नीतीश सरकार की शक्ति-स्थापना होगी. चंपारण का गांधी आश्रम नैतिक राजनीति का प्रतीक बनकर सामने आ रहा है. PK का उपवास सिर्फ एक सांकेतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि दो स्पष्ट संदेश देता है. एक, वे पारंपरिक राजनीति की शोर-शराबे वाली शैली से दूरी बनाना चाहते हैं. दो, उनकी जड़ें संघर्ष, त्याग और सार्वजनिक जवाबदेही वाले मॉडल में हैं.

जन सुराज का संदेश,यह उपवास किसी के खिलाफ नहीं, बदलाव के लिए है

जन सुराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वीडियो जारी कर बताया कि PK का उपवास किसी व्यक्ति, दल या सत्ता के खिलाफ नहीं है. यह कार्यक्रम राजनीतिक शोर के बीच नैतिकता, आत्मचिंतन और संवाद की जरूरत को रेखांकित करता है.


भारती ने कहा कि जिस भूमि से गांधी ने सत्याग्रह की शुरुआत की थी, उसी पवित्र स्थान पर मौन साधना का संदेश बिहार को एक नई राजनीतिक संस्कृति की ओर ले जाएगा.

“बिहार की राजनीति में संवाद और शांति की जरूरत” — मनोज भारती

मनोज भारती के मुताबिक PK का मौन उपवास जन सुराज आंदोलन की विचारधारा का विस्तार है. उन्होंने कहा कि राजनीति सिर्फ भाषणों, रैलियों और आरोप-प्रत्यारोप का साधन नहीं है. संकल्प और आत्मशुद्धि भी राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा होने चाहिए.
उनके अनुसार यह उपवास बिहार के हर नागरिक के लिए सकारात्मक संदेश है कि राजनीति में शोर नहीं, बल्कि मूल्यों की जरूरत है.

जनता की भागीदारी पर टिका है जन सुराज आंदोलन

मनोज भारती ने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अपील की है कि वे शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से इस कार्यक्रम में शामिल हों. उन्होंने कहा कि आंदोलन तभी मजबूत होगा जब जनता स्वयं उसे अपना आंदोलन समझे.
उन्होंने यह भी बताया कि उपवास के दौरान कोई भाषण, नारे या राजनीतिक घोषणा नहीं की जाएगी. केवल मौन, उपस्थिति और संकल्प यही कार्यक्रम की आत्मा है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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