मुख्य बिंदू
Bihar News: पटना. नीतीश कुमार की नयी कैबिनेट इस बार कई मायनों में खास होगी. इस बार कैबिनेट में कई नये चेहरे नजर आयेंगे. भाजपा कोटे से जिन नामों पर विचासर किया जा रहा है उनमें MY फैक्टर प्रमुख है. भाजपा महिला और युवा पर ज्यादा फोकस कर सकती है. ऐसे में महिलाओं की हिस्सेदारी पिछली बार से अधिक हो सकती है. नीतीश कुमार की नयी कैबिनेट में युवाओं को भी पिछली बार के मुकाबले अधिक तवज्जों मिलने की उम्मीद की जा रही है. करीब आधा दर्जन से अधिक युवाओं को कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है. भाजपा की ओर से तो नहीं लेकिन जदयू की ओर से बिहार की नयी सरकार में अल्पसंख्यकों की भी भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही जा रही है. पसमांदा समाज से किसी को कैबिनेट में जगह मिलने की बात कही जा रही है. यह समाज बहुत पहले से ही नीतीश कुमार एवं जदयू का खुलकर समर्थन करते रहे हैं.
चार से पांच महिलाएं बन सकती हैं मंत्री
नीतीश कुमार की नयी कैबिनेट में इस बार करीब 10 नये चेहरे हो सकते हैं. चार से पांच महिलाएं इस बार मंत्री बन सकती है. जदयू की ओर से लेशी सिंह और शालीनी मिश्रा को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. भाजपा कोटे से भी रमा निषाद और रेणु देवी के मंत्री बनने की चर्चा चल रही है. कुछ और नाम सियासत के गलियारे में चल रहे हैं, लेकिन अंतिम फैसला नीतीश कुमार ही लेंगे. एनडीए के घटक दलों से भी एक महिला के मंत्री बनने की बात चल रही है. युवाओं को कैबिनेट में जगह देने के मामले में जदयू से आगे भाजपा दिख रही है. जदयू एक या दो युवाओं को जगह दे सकती है, वहीं भाजपा करीब आधा दर्जन ऐसे मंत्री बनाने की तैयारी में है जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है. ऐसे में नीतीश कैबिनेट में महिला और युवा की हिस्सेदारी इस बार अधिक देखने को मिल सकती है. नये चेहरों में उमेश कुशवाहा और विजय खेमका के कैबिनेट में दिखने की संभावना अधिक है.
कैबिनेट में हो सकता है एक मुस्लिम चेहरा
अल्पसंख्यक को लेकर जदयू के वरिष्ठ नेताओं ने गंभीर मंथन शुरू कर दिया है. इस बार नयी कैबिनेट में मुस्लिम मंत्री की संख्या बढाये जाने की भरपूर कोशिश की जा रही है. इस संबंध में किसी ठोस निर्णय के लिए मंगलवार को जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी ने अपने सरकारी आवास पर दल के वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं के साथ विचार विमर्श किया. बैठक में प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा और विधान परिषद के सदस्य प्रो गुलाम गौस भी शामिल हुए. बैठक में इस प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई कि नये मंत्रिमंडल में समन्वय एवं न्याय पर आधारित विकास का मॉडल स्थापित करने के लिए मुस्लिम समाज की अगड़ी जाति से एक तथा पसमांदा मुस्लिम से भी कम से कम एक मंत्री बनाये जायें. कारण, बिहार में मुस्लिम समुदाय की आबादी 18 प्रतिशत है. इनमें अकेले पसमांदा मुस्लिम की आबादी 14 प्रतिशत है.

